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रविवार, मई 8

कहाँ गया घनघोर घटा स्वर


कहाँ गया घनघोर घटा स्वर

चमचम चमक रहा अम्बर पर
छोड़े अविरत अस्त्र किरण शर,
 क्रोधित रवि प्रचंड वेश धर
जला रहा मल ले अशुद्धि हर !  

गृह में छुपे सभी नारी-नर
तपे ताप से पशु ढूँढें घर,
सूखे नाले, नदिया, सरवर
प्यासे पत्ते, झुलसे तरुवर !

जली रेत मरुथल सी माटी
छिपे बिलों में मूषक, फणधर,
मुरझाये पुष्प से शिशु भी
लौट रहे जो ले बस्ते घर !

जल पाकर भी तृषित रहे उर
तप्त हुआ जल, बहता सीकर,
उपवन सींचे प्रातः माली
शाम पुनः फैलाता है कर !

भिगो-भिगो धरे वस्त्र शाक पर
छींटे डाल करे भिंडी तर, 
भेजो बादल कोकिल गाये
कहाँ गया घनघोर घटा स्वर ?

अनिता निहालानी
८ मई २०११