
इसलिए कुछ ठंड ज्यादा आज है
शीत लहरी है कंपाती हाड़ को
कटकटाते दांत जब पाला पड़े,
शाम से पहले धुंधलका छा गया
सूर्य निकले सर्दियों में दिन चढ़े !
धूप में तेजी नहीं बस कुनमुनी सी
बदलियों से डर गया रविराज है,
रात भर गरजा किये बादल घने
इसलिए कुछ ठंड ज्यादा आज है !
छुपे जन्तु शीत से पाने पनाह
चीटियाँ और छिपकली दिखती नहीं,
फूल बागों में ठिठुरते से खिले
घास भी कुम्हला गयी पीली पड़ी !
ओढ़ मफलर, स्कार्फ, टोपी, शॉल सब
चाय की चुस्की लगाते चल रहे हैं,
रेवड़ी, तिल, गजक बिकते थोक में
अलाव भी होड़ लेते जल रहे हैं !
अनिता निहालानी
३ फरवरी २०११