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सोमवार, अगस्त 20

ईद मुबारक



ईद मुबारक 

एक ही अल्लाह
एक ही रब है,
एक खुदा है
एक में सब है !

अंत नहीं उसकी रहमत का
करें शुक्रिया हर बरकत का,
उसकी बन्दगी जो भी करता  
क्या कहना उसकी किस्मत का !

जग का रोग लगा बंदे को
नाम दवा कुछ और नहीं है,
वही है मंजिल वही है रस्ता
तेरे सिवा कोई ठौर नहीं है !

सारे जहां का जो है मालिक
छोटे से दिल में आ रहता,
एक राज है यही अनोखा
जाने जो वह सुख से सोता !

तू ही अव्वल तू ही आखिर
तू अजीम है तू ही वाहिद,
दे सबूर तू नूर जहां का
तू ही वाली इस दुनिया का !

अल कादिर तू है कबीर भी
तू हमीद और तू मजीद भी,
दाता है, तू रहीम, रहमान
अल खालिक तू मेहरबान !

तेरे कदमों में दम निकले
दिल में एक यही ख्वाहिश है,
तेरा नाम सदा दिल में हो
ईद पे तुझसे फरमाइश है !





 

मंगलवार, जुलाई 24

रोशन रूह को करने का


रोशन रूह को करने का

लो आया फिर पाक महीना
रहमत अल्लाह की पाने,
जीवन में लाकर अनुशासन
बरकत हर घर में लाने !

लाया है रमजान महीना
एक और मौका खिदमत का,
देह को पीछे रख कुछ दिन
रोशन रूह को करने का !

दुनिया रोशन होती आयी  
सदा खुदा के बन्दों से,
इक जरिया है शुभ रमजान
कैसे प्रेम जताएं उनसे !

रहमत सदा बरसती आयी
इंसा ही उलझा रहता,
अब खाली होकर जो बैठे
झोली झोली नूर बरसता !

जिम्मेदारी जो भी अपनी
उसकी याद दिलाता है
जिनको जो भी कमी खटकती
औरों से दिलवाता है !

दान, धर्म को दे बढ़ावा
रोजा करता है तन हल्का,
हैं इसकी हजार नेमतें
तोबा करने से मन हल्का !

बुधवार, अगस्त 31

आप सभी को ईद मुबारक



ईद के मौके पर एक इबादत

एक ही अल्लाह
एक ही रब है,
एक खुदा है
एक में सब है !

अंत नहीं उसकी रहमत का
करें शुक्रिया हर बरकत का,
उसकी बन्दगी जो भी करता  
क्या कहना उसकी किस्मत का !

जग का रोग लगा बंदे को
नाम दवा कुछ और नहीं है,
वही है मंजिल वही है रस्ता
तेरे सिवा कोई ठौर नहीं है !

सारे जहां का जो है मालिक
छोटे से दिल में आ रहता,
एक राज है यही अनोखा
जाने जो वह सुख से सोता !

तू ही अव्वल तू ही आखिर
तू अजीम है तू ही वाहिद,
दे सबूर तू नूर जहां का
तू ही वाली इस दुनिया का !

अल कादिर तू है कबीर भी
तू हमीद और तू मजीद भी,
दाता है, तू रहीम, रहमान
अल खालिक तू मेहरबान !

तेरे कदमों में दम निकले
दिल में एक यही ख्वाहिश है,
तेरा नाम सदा दिल में हो
ईद पे तुझसे फरमाइश है !





  

बुधवार, जुलाई 20

दिल से निकली एक दुआ

दिल से निकली एक दुआ

तुमको हर इक खुशी मिले बस इतनी सी ख्वाहिश है
पूर्ण चन्द्र से खिल जाओ दिल की यही गुजारिश है

वक्त पे जागो वक्त पे सोओ वक्त पे घर से आओ-जाओ
कैद नहीं करना है तुमको न ही कोई आजमाइश है

तुमको न पछताना पड़े न ही नजर झुकाना पड़े
याद सदा दिल में रखो दिल अल्लाह की पैदाइश है

सुख तो पीछे आयेगा छोड़ो तुम दुःख की फिक्रें
जिगरा अपना बड़ा करो यह रब की फरमाइश है

घुटनों-घुटनों चलते थे दौड़ लगाना सीख लिया
मंजिल तक भी पहुंचोगे न भटको यह सिफारिश है