सन्नाटे को गुनना होगा
शब्दों को तो बहुत पढ़ लिया
सन्नाटे को गुनना होगा,
शोर बहुत है इस दुनिया में
नीरवता को चुनना होगा !
महानगर की अपनी ध्वनियाँ
गाँवों में भी शोर बढ़ रहा,
दिनभर वाहन आते-जाते
देर रात संगीत बज रहा !
कानों में मोबाईल लगा
कोकिल के स्वर सुनेगा कौन ?
कुक्कुट की ना बाँग सुन रहे
गऊओं का रंभाना मौन !
अपनों को भी नहीं सुन रहे
मन में भीषण शोर मचा है,
खुद की आवाजें भी दुबकीं
जग को भीतर बसा लिया है !
जाने किससे बात हो रही
दूजा कोई नहीं वहाँ है,
उस तक पहुँच नहीं हो पाती
निर्जन में ही जो रमता है !