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मंगलवार, जुलाई 28

घर-बाहर

घर-बाहर 

तुम्हारे भीतर जो भी शुभ है 
वह तुम हो 
और जो भी अनचाहा है 
मार्ग की धूल है 
सफर लंबा है 
चलते-चलते लग गए हैं 
कंटक  भी कुछ वस्त्रों पर 
 मटमैले से हो गए हैं 
पर वे सब बाहर-बाहर हैं 
धुल जायेंगे 
एक बार जब पहुंचे जाओगे घर !

मार्ग में दलदल भी थे लोभ के 
थोड़ा सा कीचड़ लगा है पैरों पर 
गुजरना पड़ा होगा कभी जंगल की आग से भी 
धुआँ और कालिख चिपक गयी होगी 
कभी राग के फल चखे होंगे 
मधुर जिनका रस-रंग भी टपक गया है 
कभी द्वेष की आंच में तपा होगा उर 
सब कुछ बाहर ही उतार देना 
घर में प्रवेश करने से पूर्व !

घर में शीतल जल है 
प्रक्षालन के लिए
तुम्हारा जो भी शुभ है स्वच्छ है 
नजर आएगा तभी 
मिट जाएगी सफर की थकान 
और पाओगे सहज विश्राम 
घर बुलाता है सभी को 
पर जो छोड़ नहीं पाते मोह रस्तों का 
भटकते रहते हैं 
अपने ही शुभ से अपरिचित 
 वे कुछ खोजते रहते हैं !

शुक्रवार, मार्च 29

इस उमंग का राज छुपा है



इस उमंग का राज छुपा है 


जाने क्यों दिल डोला करता
नहीं किसी को तोला करता,
जब सब उसके ही बंदे हैं
भेद न कोई भोला करता !

नयना चहक रहे क्यों आखिर
अधरों पर स्मित ठहरी कब से,
जन्मों का क्या मीत मिला है
थिरक रहे हैं कदम तभी से ?

रुनझुन सी बजती है उर में
गुनगुन सी होती अंतर में,
छुप-छुप किसके मिले इशारे
निकल गया दिल किसी सफर में !

टूटी-फूटी गढ़ी इबारत
हाल बयां क्योंकर हो पाये,
मीरा भी दिखा नहीं पायी
राम रतन नजर कहाँ आये !

मंगलवार, अक्टूबर 13

शुभकामनायें



शुभकामनायें 

समय के कुंड में.. डलती रही
प्रीत की समिधा
दो तटों के मध्य में.. बहती रही
प्रीत की सलिला
बीत गये चार दशक कई पड़ाव आए
पुहुप कितने भाव से जग में उगाए
भाव सुरभि है बिखरती
नव कलिकायें विहंसती
जिंदगी अब खिल रही है
चल रहा है इक सफर
मीत मन का साथ हो तो
सहज हो जाती डगर !
लें बधाई आज दिल में
स्वप्न की ज्योति जलेगी  
 मिल मनाएंगे दिवस फिर
जब जयंती स्वर्ण होगी !

सोमवार, जुलाई 20

खुदा यहीं है !


खुदा यहीं है !

नहीं, कहीं नहीं जाना है
कुछ नहीं पाना है
गीत यही गाना है
खुदा यहीं है !
एक कदम भी जो बढ़ाया
एक अरमान भी जो जगाया
एक आँसू भी जो बहाया
झपकाई एक पलक भी
तो दूर निकल जायेंगे  
इतना सूक्ष्म है वह कि
सिवा उसके, उसकी जात में
कुछ भी नहीं है
खुदा यहीं है !
अब कोई गम तो दूर
ख़ुशी की बात भी बेगानी है
अब न कोई फसाना बचा
 न ही कोई कहानी है
वह जो होकर भी नहीं सा लगता है
अजब उसकी हर बयानी है
उसको जाना यह कहना भी
मुनासिब नहीं है
खुदा यहीं है !
अब कोई सफर न कोई मंजिल बाकी
दामन में बस यह एक पल  
और कुछ भी नहीं है
खुदा यहीं है !
नहीं चाहत किसी को समझाने की
 बेबूझ सी इस बात पर
करता कौन यकीं है
खुदा यहीं है !




सोमवार, जून 8

रौशनी का दरिया


चलना है बहुत पर पहुँचना कहीं नहीं  
किताबे-जिंदगी में आखिरी पन्ना ही नहीं

घर जिसे माना निकला पड़ाव भर
सितारों से आगे भी है एक नगर

दिया हाथ में ले चलना है सफर पर
साथ नहीं कोई न कोई फिकर कर

जुबां नहीं खोलता वह चुप ही रहता है
रौशनी का दरिया खामोश बहता है

बिन बदली बरखा बिन बाती दीपक जलता
कहा न जाये वर्तन कभी न वह सूरज ढलता  

बुधवार, मई 20

गाँठ सभी खोल लो


गाँठ सभी खोल लो
  

एक वर्ष और बीता
गठरी न बांधो और
जाने कब चलना हो
अंतिम हो कौन भोर ?

हल्का ही मन रहे
सफर जाने कैसा हो,
गाँठ सभी खोल लो
कौड़ी न पैसा हो !

एक ही लगन रहे
जाना है उसी देश,
कोई जहाँ तके राह
भटके बहुत परदेश !

बुधवार, अप्रैल 11

भीतर एक यात्रा चलती



भीतर एक यात्रा चलती


जीवन एक सफर है सुंदर
चलते ही जाना है नियति,
जन्म पूर्व ही शुरू हुआ जो
न मृत्यु में भी पूर्णाहुति !

चलते जाना बने सार्थक
नए अनूठे रंग भरें नित,
जीवन की गहराई छू लें
सँग भी चलें अपनों के हित !

श्वासें लेना नहीं है काफ़ी
बिखरे, बंटे सदा यह जीवन
प्रेम, समर्पण, शांति, आस्था
महकाए नित मन का उपवन !

भीतर एक यात्रा चलती
बाहर, ज्यों-ज्यों कदम बढाते,
ऊँचाई सँग, गहराई भी
स्नेहिल नाते ज्यों गहराते !  

जड़ता या प्रमाद न आये
मन में कभी दुराव न छाये,  
निर्मल जल सा सदा बहे यह
दौड़ कभी खुद से न छुड़ाए !

स्वयं से शुरू हुआ सफर यह
स्वयं पर ही आकर थमता है,
गुनगुन करतीं राहें मिलतीं
भीतर जब दीया जलता है !  


मंगलवार, मई 10

सफर अब भी वह जारी है


सफर अब भी वह जारी है

अगर दिल में मुहब्बत हो जहाँ जन्नत की क्यारी है
सुकूं तारी सदा रहता यह ऐसी बेकरारी है I

तेरी नजरों से जब देखा यह दुनिया भा गयी मुझको
तेरे पीछे चले थे हम सफर अब भी वह जारी है I

मेरे दिल का हर इक कोना भरा है तेरी यादों से
जहाँ न साथ तेरा हो ऐसा इक पल भी भारी है I

जमाने की निगाहों से सदा जिसने बचाया है
गमों की धूप में वह नीम सी छाँव प्यारी है I

हजारों ढंग सिखलाये तेरी चाहत ने जीने के
सलीका जिंदगी का देख हमसे मौत हारी है I

अनिता निहालानी
१० मई २०११