प, फ, ब, भ, म
प-वर्ग में आकर बसते हैं
सारे रिश्ते जो भाते हैं,
परम परमात्मा, भगवान भी
पंचम सुर में ही गाते हैं !
प औ’ म के मध्यांतर में इक
रिश्तों का संसार बसा है,
प से पिताजी और म से माँ
इनसे ही परिवार बना है !
प से पत्नी, प्रियतम भी प से
फ से फूफी-फूफा कहाते,
ब बना बहना, बिटिया, बेटी
भ भाई का भाभी भी भ से !
मामा-मामी, मौसा-मासी
माँ सम ममता सदा लुटाते,
भ से भार्या, भगिनी भी भ से
ब से बुआ व बहू बन जाते !