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मंगलवार, अगस्त 14

तिरंगा


तिरंगा

नीलगगन में लहराते तिरंगे को देख
याद आते हैं वे अनाम चेहरे
इतिहास में जिनका कोई वर्णन नहीं
इस अमर स्वतन्त्रता के वाहक जो बने !

आज आजाद हैं हम
खुली हवा में श्वास लेने,
 दिल का हाल कहने सुनने को !

चैन की नींद सो सकते हैं
उगा सकते हैं धरा में अपनी पसंद की फसलें
भारत माँ को आराधना करते हुए
उगते सूरज को अर्घ्य चढ़ा सकते हैं !

लहरा जब जब तिरंगा शान से
हर भारतीय का हृदय भरा है आनबान से !

होश रखते हुए दिल में जोश जगाना है
इस तरह कुछ तिरंगा लहराना है
राम और कृष्ण की पावन भूमि का
महान गौरव सारे विश्व में बढ़ाना है !

मंगलवार, अगस्त 3

पन्द्रह अगस्त

पंद्रह अगस्त

नक्सलवाद उबाल खा रहा, 

रह-रह कर सुलगे काश्मीर

कॉमन वेल्थ गेम सर पे हैं, 

कौन हरे भारत की पीर !


आए दिन बढ़ रहे हादसे, 

कभी संसद में घेरा बंदी

मंहगाई सुरसा सी बढ़ती, 

रोजगार में आयी मंदी


नेतागण जेब लगे भरने

ब्यूरोक्रेसी के क्या कहने,

नेतृत्व चुप्पी साधे है

क्या लज्जा के गहने पहने?


धर्म जाति के नाम अभी भी 

सरकारें गिरतीं या बनतीं,

काम करें या समय बितायें, 

जवाबदेही किस की बनती?


कहीं बाढ़ अतिवृष्टि कहीं पर  

सड़कों पर भी नावें चलतीं,

नकली मुद्रा बाजारों में 

आतंकी हरकत  भी बढ़तीं !


लेकिन फिर भी अपना भारत 

आगे ही बढ़ता है जाता,

दुनिया के मानचित्र पर नित 

नयी-नयी पहचान बनाता !


लोककला या कला शास्त्रीय 

कलाकार भारत के अनुपम,

गीत, नृत्य, संगीत, साहित्य

सभी क्षेत्रों में अति उत्तम !


वैज्ञानिक, शिक्षक, डॉक्टर भी 

हो सम्मानित आदर पायें,

अर्थपति मिल दुनिया भर में

भारत का परचम लहरायें !


कहीं कहीं ही उन्नत राहें 

कहीं अभी पगडंडी पिछड़ी,

करनी होगी मेहनत सबको 

हैं चुनौतियाँ बहुत सी बड़ी !


आजादी की वर्षगाँठ पर 

मिलकर हम यह शपथ लें आज,

हर व्यक्ति कुछ करे भारत हित 

 जाग उठे सारा यह समाज !



अनिता निहालानी
३ अगस्त २०१०