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रविवार, जून 12

बुद्धों की कीमत न जानी


बुद्धों की कीमत न जानी

यह दुनिया की रीत पुरानी
बुद्धों की कीमत न जानी,
जीवित का सम्मान किया न
बाद में पूजी उनकी वाणी !

ईसा को सूली पे चढाया
गाँधी को गोली से उड़ाया,
जहर का प्याला सुकरात को
महावीर को बहुत सताया !

जीवित संत को कुछ ही समझें
बाद में उन पर फूल चढाते,
तेरी जान की कीमत बाबा
पत्थर दिल ये समझ न पाते !

जब भी दुनिया को समझाने
संत कभी धरती पर आया,
नादां, भोली इस दुनिया ने
उनके भीतर रब न पाया !

बाद में पूजा मूरत गढ़ के
जीवित बुद्धों को दुत्कारा,
अजब खेल यह चलता आये
अपने संतों को ठुकराया !

बाबा तू अनमोल है कितना
कोई कहाँ यह बता सका है,
प्रेम भरा दिल तेरा बाबा
स्वयं ही स्वयं को जान सका है !

अनिता निहालानी
१२ जून २०११