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मंगलवार, अक्टूबर 24

विजयादशमी

विजयादशमी 

माँ को पूज कर राम ने

पाया विजय का वरदान, 

किया विनाश दशानन का 

मिला दुनिया में सम्मान !


राम तभी अवतार बने 

जिस पल निज शीश झुकाया, 

विधिपूर्वक करी प्रार्थना 

अहम् भाव पूर्ण मिटाया !


सीता से फिर हुआ मिलन 

दोनों के सब कष्ट मिटे, 

सेना में जय घोष उठा 

अंधकार के मेघ छँटे !


हम निज अल्प प्राप्ति पर भी 

गर्वित हों कब शोभा दे,   

माँ की शक्ति से ही सदा 

तन-मन का अस्तित्व रहे !


वही करावन हारा है 

उसी को सौंपें हर भार 

हल्के हो जगत में रहें 

यदि करना स्वयं उद्धार !



शुक्रवार, अक्टूबर 15

विजयादशमी


विजयादशमी 


आज विजयादशमी है !

आज भी तो रावण के पुतले जलेंगे,

क्या वर्ष भर हम रावण से मुक्त रहेंगे ?

नहीं,...तब तक नहीं

जब तक, दस इन्द्रियों वाले मानव का

विवेक निर्वासित किया जाता रहेगा,

और अहंकार

बुद्धि हर ले जाता रहेगा,

अब सीता राम का मिलन होता ही नहीं

यदि होता तो राष्ट्र आतंक के साये में न जीते

 विकास के नाम पर रसायन युक्त अन्न 

और हवा के नाम पर जहर न पीते

न होती विषमताएं समाज में

आखिर कब घटेगा दशहरा हमारे भीतर?

कब ?

तभी न, जब

विवेक का साथ देगा

वैराग्य 

दोनों प्राण के जरिये

बुद्धि  को मुक्त करेंगे

तब होगा रामराज्य

जर्जर हो यह तन, बुझ जाये मन

उसके पहले

जला डालें अपने हाथों

अहंकार के रावण, मोह के  कुम्भकर्ण

लोभ के मेघनाथ भी

उसी दिन होगी सच्ची विजयादशमी !

शनिवार, सितंबर 27

शुभकामना

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
आने वाले सभी पर्वों के लिए शुभकामना के साथ अगले दस-बारह दिनों के लिए विदा. आज ही हम बंगलुरु तथा कुर्ग की यात्रा पर जा रहे हैं. आशा है आप सभी के जीवन में विजयादशमी का उत्सव नई विजय की सूचना लेकर आएगा. परमात्मा हर क्षण हम सभी के साथ है.

अनिता 

शनिवार, अक्टूबर 16

विजयादशमी

विजयादशमी
आज विजयादशमी है !
आज, एक विशेष दिन है
आज भी तो रावण के पुतले जलेंगे,
हर वर्ष की तरह
और, अगले वर्ष कई और खड़े हो जायेंगे !
....क्या वर्ष भर.... हम रावण से मुक्त रहेंगे ?
नहीं,...तब तक नहीं
जब तक, दस इन्द्रियों वाले दशरथ का
विवेक रूपी पुत्र राम
निर्वासित किया जाता रहेगा,
और रावण रूपी अहंकार
बुद्धि रूपिणी पुत्रवधू सीता को
हर कर ले जाता रहेगा,
अब सीता राम का मिलन होता ही नहीं
यदि होता तो राष्ट्र आतंक के साये में न जीते
हम दूध के नाम पर रसायन
और दवा के नाम पर जहर न पीते
न होती विषमताएं समाज में
न होता रावण राज !

आखिर कब घटेगा दशहरा हमारे भीतर?
कब ?
तभी न, जब
विवेक राम का साथ देगा
वैराग्य लक्ष्मण
दोनों प्राण रूपी पवन पुत्र के जरिये
बुद्धि सीता को मुक्त करेंगे
तब होगा रामराज्य
जर्जर हो यह तन, बुझ जाये मन
उसके पहले
जला डालें अपने हाथों

अहंकार रावण, मोह रूपी कुम्भकर्ण
लोभ रूपी मेघनाथ भी
उसी दिन होगी सच्ची विजयादशमी !

अनिता निहालानी
१६ अक्तूबर २०१०