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सोमवार, जून 10

सभी दलों से देश बड़ा है

सभी दलों से देश बड़ा है 


लोकतंत्र की विजय हुई है 

हारे-जीततें होंगे लोग, 

देश समन्वय के रस्ते  पर 

आश्वासित हुए सारे लोग !


तय कर दिया चुनावों ने यह 

राजनीति से बड़े हैं राम,  

मिल-जुल कर ही बढ़ना आगे 

संविधान का यही  पैग़ाम !


सभी दलों से देश बड़ा है 

सेवा का जो अवसर देता, 

सरकारें आये जायेंगी 

युगों-युगों से भारत माता !


सोमवार, अगस्त 14

परम अनूठा लोकतंत्र है




परम अनूठा लोकतंत्र है


सदा सत्य की राह दिखाये

गीत शांति का नित गुंजाता , 

‘वसुधैव कुटुंबकम’ अपनाए

सबका नित  कल्याण चाहता !

 

देश हमारा आगे बढ़कर  

सुख-संपन्नता द्वार खोल दे, 

हर आपद को बना चुनौती 

 यही सिखाये हँसकर सह लें !

 

साथ निभाता सब देशों का 

परम अनूठा लोकतंत्र है, 

आपद जब संसार झेलता 

सभी मित्र हैं, मूलमन्त्र है !


 दे संदेश तिरंगा लहरा

भारत की संस्कृति फैलाये, 

राम-कृष्ण की पावन धरती    

कण-कण इसका प्रीत सिखाये !

 

हर मन में आह्लाद उमंग 

मिल स्वतन्त्रता दिवस मनाएं, 

महिमामय भविष्य सम्मुख है 

धैर्य से वर्तमान निभाएं !

सोमवार, जून 6

कहाँ जा रहा देश आज है


अधरों पर कितने सवाल हैं


आज करोड़ों आँखें नम हैं
भौंचक तकती हुई निगाहें,
कहाँ जा रहा देश आज है
किसने दूषित कर दीं राहें !

अधरों पर कितने सवाल हैं
कितने दिल मायूस हुए हैं,
कितने आँसू रोये हैं दिल
कितने अरमां टूट गए हैं ! 

जिस पर बड़ा गर्व करते थे
दुनिया का आदर्श बताते,
जिस लोकतंत्र की गाथाएं
सारे विश्व को गा सुनाते !

आज वहीं लोग लज्जित हैं
अपनों पर ही जुल्म हुए हैं,
जिनसे रक्षा की उम्मीद थी
उनसे ही तो ठगे गए हैं !

जिनसे थी गुहार लगाई
भ्रष्ट व्यवस्था को बदलो,
बहुत हो गया खेल पुराना
अब तो अपने ढंग बदलो !

वही सियासत के बाशिंदे
बन आये जब खूनी दरिंदे,
चैन से सोये लोगों पर
जब कसे कुशासन के फंदे !

वैचारिक क्रांति होनी थी
नयी हवा यहाँ बहनी थी,
मजबूरों को हक मिलना था
रोटी भूखों को मिलनी थी !

देशभक्त जो जूझ रहे हैं  
सुनाम कर जायेंगे अपना,
भारत को समृद्ध बनाने  
का सुंदर है उनका सपना !

जिन्हें कुशासन ने घेरा है
उनके दिल में जोश भरा है,
देशभक्ति के मतवालों का
किसने जज्बा कभी हरा है !

यह आग कभी बुझ ना पाए
देश की आशा बने फलवती,
काला धन भी वापस आये
भ्रष्टाचार न हो बलवती !

न्याय मिले, सम्मान मिले
हो सबको ही हक जीने का,
भारत दुनिया में मिसाल हो
हार हो विश्व के सीने का !

जितनी निंदा होगी कम है
अमानवीय कृत्य घटा जो,
देश कभी भी ना भूलेगा
कहर का बादल इक फटा जो !

अनिता निहालानी
६ जून २०११