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बुधवार, जून 8

एक और आजादी


एक और आजादी

कौन आजाद हुआ
किसके माथे से गुलामी की स्याही छूटी
दिलों में दर्द है बिगड़ते हालातों का
देश खामोश, माथे पे उदासी है वही
खंजर आजाद हैं सीनों में उतरने के लिये
मौत आजाद है लाशों पे गुजरने के लिए !

मगर हर क़ुरबानी 
करीब ले न जाएगी मंजिल के ?
राह दिखाती है उम्मीद यही लाखों को
छूटेगी जमीं से गुलामी की स्याही
शहादत इक दिन तो रंग लाएगी
फिर से खुशियों का परचम फहरेगा  
सिलसिला जीत का जारी हो जारी रहेगा !

होगा आजाद हर शख्स भुखमरी से तब
मिलेगी शिक्षा खुशहाली नजर आयेगी
बेईमान नहीं होंगे शासक अपने
बजेगी बंसी चैनो-अमन की हर तरफ
दुनिया देखेगी चिड़िया एक सोने की
देश बढ़ेगा ध्वजा सत्य की लहराएगी !


अनिता निहालानी
८ जून  २०११