शनिवार, अगस्त 14

तू अरूप है भारत माता


तू अरूप है भारत माता



पुण्य भूमि, हे भारत माता  

हर वासी मुस्काता, गाता,

आज़ादी का जश्न मनाने 

लो एक हुजूम चला आता !


तेरे ही आंगन में हे माँ

गूँजी थी ऋषियों की वाणी,

तेरे सपूत थे महा वीर

कर्मठ, उत्साही औ दानी !


फिर समय की ऐसी पड़ी मार

वे सुख मदिरा में मत्त हुए,

तेरे सम्मान को रख गिरवी

गैरों से बंधे, परास्त हुए !


लेकिन चिंगारी भीतर थी

क्रांति का बिगुल बजाया था,

सुलगी पहले फिर भड़की थी

स्वराज्य का स्वप्न दिखाया था !


जाने कितनों का रक्त बहा

कितनी माँओं का दिल रोया,

कितने कवियों ने गीत लिखे

जेलों में गए, चैन खोया !


बापू, नेहरू, सुभाष, तिलक

आजाद, भगत, ऊधम भी लड़े,

करवट ली देश की जनता ने

बन सेनानी जांबाज बड़े !


लहराया था परचम प्यारा

छूने फिर नीले अम्बर को,

तीनों रंगों में सजा चक्र

प्रेरित करता जो बढ़ने को !


फिर जनगणमन था गूँज उठा

थे कोटि-कोटि जन हर्षाये  ,

आज उसी की याद लिए उर 

हम भारतवासी हैं आए !


तेरे चिरकाल ऋणी हैं हम

ओ ममतामयी, कल्याणी माँ,

तेरे सुंदर नव रूपों पर

हम जाते हैं बलिहारी माँ !


तू अरूप है भारत माता

रूप झलकता है जन-जन में,

तू ही लहराती फसलों में

तू ही मुस्काती हर मन में !


भारत का हर जन तेरा ही

तुझसे ही उसका हर नाता,

तेरे कारण हम एक हुए

तेरा आँचल हमको भाता !


हर प्रान्त तेरा खिल-खिल जाये

शहर-शहर, गाँव मुस्काए,

तेरी गलियों में मस्ती हो

बाजारों में रौनक छाये !


द्वार-द्वार पर सजे रंगोली

हर छत पर ध्वजा लहराए,

हर बच्चे में जोश भरा हो

हर दिल झूम तराने गाए !




9 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (15-8-21) को "आजादी का मन्त्र" (चर्चा अंक-4157) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
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    कामिनी सिन्हा

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  2. मन में उमंग जगाती खूबसूरत रचना!

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  3. बहुत सुंदर सृजन,प्रेरक हृदय स्पर्शी।
    स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. अपनी अरूप भारत माता के अप्रतिम सौन्दर्य का कितना सुन्दर गुणगान किया है आपने । बहुत ही अच्छा लगा ।

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