देवियाँ
सीता, धरा की पुत्री
भूमिजा है
भूमि सिखाती है, कर्म का वर्तन !
सहज ही आता है
उनके वंशजों को
भू, जल, और पर्वतों का
संरक्षण !
लक्ष्मी, सागर पुत्री
जलजा है
जल बहना सिखाये
उर में भक्ति जगाये !!
जल निधियों का स्रोत
मन को तरल बनाये !
सरस्वती आकाश पुत्री
नभजा
गगन है ज्ञान !
अस्पृश्य रह जाता है
हर विषमता से
विवेक जगाता है !
पर्वत पुत्री उमा
पार्वती है !
दुर्गा बन शौर्य जगाती
गौरी बन आनंद बरसाती !
यज्ञ की ज्वालाओं से
प्रकट हुई द्रौपदी
अग्नि करती है पावन
महाभारत की नायिका
सदा करे कृष्ण का अभिनंदन !
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