सोमवार, नवंबर 12

“इक काव्य रचा जाता है पल पल इस सृष्टि में “


इक काव्य रचा जाता है
पल पल इस सृष्टि में


जाने कहाँ से आ रही
खुशबू रुहानी सी !

तन मन डुबोए जा रही
खुशबू सुहानी सी !

मदमस्त यह आलम हुआ
खुशबू है जानी सी !

नासपुटों में भर रही
खुशबू पुरानी सी !

जाने से पहले रख गया
खुशबू निशानी सी !

रग-रग में बहे रक्त सी
खुशबू रवानी सी !

यादों के तार छेड़ गयी
खुशबू कहानी सी !

आयी नहीं जब राह तकी
खुशबू है मानी सी !

7 टिप्‍पणियां:

  1. बस खूशबू ही खूशबू बसी है ... सुंदर अभिव्यक्ति

    दीपावली की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर.. दीपावली की अनंत शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर.....आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूब...
    दिवाली की अनंत शुभकामनाएँ...

    सादर |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर...आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  6. संगीता जी, इमरान, माहेश्वरी जी, सुषमा जी, मंटू जी, कैलाश जी अप सभी का स्वागत व आभार !

    जवाब देंहटाएं