मंगलवार, फ़रवरी 16

ताल-लय हर हृदय प्रकटे

ताल-लय हर हृदय प्रकटे 



गा रही है वाग देवी  
गूँजती सी हर दिशा है, 
शांत स्वर लहरी उतरती 
शुभ उषा पावन निशा है !

श्वेत दल है कमल कोमल 
श्वेत वसना वीणापाणि,
राग वासन्ती सुनाये 
वरद् हस्ता महादानी !

ज्ञान की गंगा बहाती
शांति की संवाहिका वह,
नयन से करुणा लुटाये 
कला की सम्पोषिका वह !

भा रही है वाग देवी 
सुन्दरी अनुपम सलोनी, 
भावना हो शुद्ध सबकी
प्रीत डोरी में पिरोनी ! 

जागे मेधा जब सोयी
अर्चना तब पूर्ण होगी,
ताल-लय हर हृदय प्रकटे 
साधना उस क्षण फलेगी !

21 टिप्‍पणियां:

  1. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं..
    बहुत सुंदर पंक्तियों से सजी बहुत सुंदर रचना..

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  2. माँ शारदे को नमन करते हुए सुन्दर रचना ... उनका आशीर्वाद रहे तो जीवन में सफलता मिलती है ...

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  3. अहा , कितनी सुंदर प्रार्थना । अपने ब्लॉग पर आपको पा कर हर्ष हुआ । आभार ।

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-02-2021) को  "बज उठी वीणा मधुर"   (चर्चा अंक-3980)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  5. सुन्दर निवेदन और प्रार्थना..अनोखी कृति..

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  6. बहुत ही सुंदर वंदना,
    माँ सरस्वती की कृपा हम सब पर बनी रहें

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  7. बहुत सुंदर प्रार्थना
    कमाल का सृजन

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  8. आप सभी सुधीजनों का हृदय से स्वागत व आभार !

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