रविवार, जून 19

पिता


पिता

पिता वह मजबूत तना है
जिसके आधार पर पनप रहा है परिवार
और माँ वह जड़
जो दिखाई नहीं देती, पर जिसकी वजह से खड़ा है वृक्ष
और जो मुखरित है नई नई कोंपलों और कलिकाओं में...

पिता की रगों में दौड़ता है सत्
सत् जो शाखाओं से होता हुआ उतर आया है फूलों में
जिनके भार से झुक गयीं हैं शाखाएँ
धरा तक
और नई जड़ों ने गाड़ दिये हैं अपने डेरे
वृक्ष जीवित रहेगा बनेगा साक्षी प्रलय का

पिता की आँखों में सुकून है भीतर अपार संतोष
जो रिस रहा है
पत्तियों के आखिरी सिरों तक ...

अनिता निहालानी
१९ जून २०११

17 टिप्‍पणियां:

  1. पिता की आँखों में सुकून है भीतर अपार संतोष
    जो रिस रहा है
    पत्तियों के आखिरी सिरों तक ...
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, भावपूर्ण रचना , बधाई

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (20-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. सुंदर..सूक्ष्म ...अद्भुत विचार ...
    बधाई ...

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  4. फादर्स डे पर एक अच्छी प्रस्तुति।

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  5. पिता वह मजबूत तना है
    जिसके आधार पर पनप रहा है परिवार
    और माँ वह जड़
    जो दिखाई नहीं देती, पर जिसकी वजह से खड़ा है वृक्ष.

    कितनी सच बात कही है आपने. पितृ दिवस पर खूबसूरत रचना बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

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  6. पितृ दिवस पर खूबसूरत अभिव्यक्ति....

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  7. पिता के प्रति अतिशय स्नेह का उर्जावान चित्रण प्रभावित करता है ....
    मूल्य जो मां-पिता को मिलने चाहिए ,और जो उन्होंने बीजा है ,आज सम्मान दें तो बड़ी बात होगी ..../सुंदर अभियक्ति शुक्रिया जी /

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  8. पितृ-दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ

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  9. पिता और माँ की सुन्दर उपमा ...अच्छी प्रस्तुति

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  10. सच है....पिता का दर्जा बहुत ऊँचा है|

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  11. अनीता जी साधुवाद - सुन्दर भाव बहुत ही प्यारी रचना काश सभी पुत्र अपने पिता के प्रति समर्पित रहें अंत तक उनके दिल में बसे प्यार दें और लें -निम्न प्यारी पंक्तियाँ

    पिता की आँखों में सुकून है भीतर अपार संतोष
    जो रिस रहा है
    पत्तियों के आखिरी सिरों तक ...
    शुक्ल भ्रमर ५

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