सोमवार, दिसंबर 24

आया हूँ मैं प्रेम लहर बन



आया हूँ मैं प्रेम लहर बन

अंधकार में जो बैठे थे
ज्योति उन्हें जगाने आई,
मृत्यु की छाया थी जिन पर
जीवन सरिता थी लहराई !

कहा था उसने, जागो अब तो
अपने भीतर स्वर्ग को पा लो
आया हूँ मैं प्रेम लहर बन
अंतर-बाहर सभी भिगा लो !

झील किनारे जब गलील की
इक दिन यीशू टहल रहे थे,
जाल डालते देख कहा यह  
आओ, मेरे पीछे पीछे !

 पतरस, अन्दियास के जैसे  
याकूब और यूहन्ना भी,
साथ हो लिए थे यीशू के
पीड़ा हरते तन की मन की !

सभागृहों में घूमा करते
देश सीरिया में मिलकर नित,
स्वस्थ किया रोगों से जन को
यश फैला था उनका अद्भुत !

सुना है तुमने, दंड मिलेगा
जो हिंसा का कृत्य करेगा,
लेकिन वह भी दोषी होगा
जो भाई पर क्रोध करेगा !

चाहे जितनी बार कही हो
मधुर प्रार्थना बारम्बार,
मन में यदि द्वेष भरा हो
पूजा न होती स्वीकार !

स्वर्ग पिता का सिहांसन है
ध्यान रहे यह सत्य हो वाणी,
धरती है पांव की चौकी
पड़े किसी को शपथ न खानी !

बाहर भीतर एक हुआ जो
वही प्रभु का प्यारा बनता,
शत्रु नहीं जगत में जिसका
नहीं दिखावा जिसको भाता !

धर्म व्यवस्था दृढ़ करने ही
यीशू इस जग में था आया,
उसकी प्रीत में झूमें मिल कर
क्रिसमस यही सिखाने आया ! 

8 टिप्‍पणियां:

  1. धर्म व्यवस्था दृढ़ करने ही
    यीशू इस जग में था आया,
    उसकी प्रीत में झूमें मिल कर
    क्रिसमस यही सिखाने आया !

    बहुत सुंदर ....क्रिसमस की शुभकामनायें ....

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  2. बहुत सुन्दर संदेश देती रचना

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  3. बाहर भीतर एक हुआ जो
    वही प्रभु का प्यारा बनता,
    शत्रु नहीं जगत में जिसका
    नहीं दिखावा जिसको भाता !
    इस कविता के भाव बहुत अच्छे लगे।

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  4. अनुपमा जी, वन्दना जी, संगीता जी, मनोज जी व अनु जी आप सभी का स्वागत व् हार्दिक आभार !

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  5. सुंदर सन्देश देता खूबसूरत गीत.

    आपको नए साल की शुभकामनायें.

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    1. रचना जी, आपको भी आने वाला वर्ष मुबारक हो...आभार!

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