कल बड़े भैया-भाभी के विवाह की वर्षगाँठ है, यह कविता उनके साथ उन सभी के लिए है जिनके विवाह की सालगिरह इस हफ्ते है.
विवाह की वर्षगाँठ पर
स्वर्ग में तय होते हैं रिश्ते
सुना है ऐसा, सब कहते हैं,
जन्नत सा घर उनका जो
इकदूजे के दिल में रहते हैं !
जीवन कितना सूना होता
तुम बिन सच ही हम कहते,
खुशियों की इक गाथा उनमें
आंसू जो बरबस बहते हैं !
हाथ थाम कर लीं थीं कसमें
उस दिन जिस पावन बेला में,
सदा निभाया सहज ही तुमने
पेपर पर लिख कर देते हैं !
कदम-कदम पर दिया हौसला
प्रेम का झरना बहता रहता,
ऊपर कभी कुहासा भी हो
अंतर में उपवन खिलते हैं !
नहीं रहे अब ‘दो’ हम दोनों
एक ही सुर इक ही भाषा है,
एक दूजे से पहचान बनी
संग-संग ही जाने जाते हैं !
आज यहाँ आकर पहुंचे हैं
जीवन का रस पीते-पीते
कल भी साथ निभाएंगे हम
पवन, अगन, सूरज कहते हैं !
बहुत सुंदर भाव .... हम तो यह मान कर चल रहे हैं कि जिनकी पिछले सप्ताह विवाह की वर्ष गांठ थी उनके लिए भी है यह रचना :):)
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, स्वागत है आपका..यकीनन यह रचना उनके लिए भी है..
हटाएंthnx
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई..
हटाएंआपकी यह रचना तो सभी के लिए एक तोहफा है अनिता जी ..चाहे उनके विवाह कि वर्षगाँठ कभी भी हो ...
जवाब देंहटाएंशालिनी जी, आपने तो इस कविता को बहुत मान दे दिया..यही सही..आभार !
हटाएंबहुत बहुत प्यारी रचना....
जवाब देंहटाएंहमने तो मान लिया है कि जिनकी वर्षगाँठ 3 माह बाद है उनके लिए भी है ये रचना :-)
सादर
अनु
अनु जी, लगता है आपके विवाह की वर्षगाँठ तीन माह बाद है, अग्रिम बधाई !
हटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार 12/213 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है
जवाब देंहटाएंराजेश जी, बहुत बहुत आभार !
हटाएंबधाई भैया भाभी को ...
जवाब देंहटाएंसतीश जी, शुक्रिया...
हटाएंबहुत सुन्दर ..........बधाई।
जवाब देंहटाएंइमरान..आपका भी आभार !
हटाएंबहुत प्यारा तोहफ़ा है अनिता जी आपके भैया भाभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंवैसे इस 15 को हमें भी इस बंधन में बँधे 25 वर्ष पूर्ण हो जायेंगे
वन्दना जी, विवाह की रजत जयंती पर हार्दिक शुभकामनायें..
हटाएंकदम-कदम पर दिया हौसला
जवाब देंहटाएंप्रेम का झरना बहता रहता,
ऊपर कभी कुहासा भी हो
अंतर में उपवन खिलते हैं ...
बड़े ऐसे ही होते हैं ... आपके भाई भाभी को बहुत बहुत बधाई ...
एक-दूजे से पहचान मिलती है जिसपर पवित्र रिश्ता टिकता है . मधुर रचना के लिए आपको बधाई..
जवाब देंहटाएंअमृता जी, सही कहा है आपने..आभार!
हटाएंअनीता जी आपकी यह रचना मुझे बेहद अच्छी लगी इसे मैंने अपने एक परिचित से शेयर की है आपका आभारी हूं
जवाब देंहटाएंस्वागत है !
जवाब देंहटाएंनहीं रहे अब ‘दो’ हम दोनों
जवाब देंहटाएंएक ही सुर इक ही भाषा है,
एक दूजे से पहचान बनी
संग-संग ही जाने जाते हैं !
आज यहाँ आकर पहुंचे हैं
जीवन का रस पीते-पीते
कल भी साथ निभाएंगे हम
पवन, अगन, सूरज कहते हैं !
आपकी रचना बहुत अच्छी लगी।
स्वागत व आभार !
हटाएंदउरो दउरो हो अम्मा हमार
जवाब देंहटाएंसमधी आय गया मोरा द्वार ।
भले बजर परे ससुरार जी
दिनेश जी आयो मोरे द्वार ।
दिनेश जी के ललना राम
चैत मॉस आये मोरा गांव ।
कमर बांधे चले हैं कमान
पुष्पा पुष्प महल गुरुग्राम ॥
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अनीता जी बहुत ही सुंदर रचना है।आपने भैया-भाभी को शब्दों का जो अनमोल उपहार दिया है वह बहुत ही अच्छा है।आप ऐसी ही सुंदर रचनाएँ अब
जवाब देंहटाएंशब्दनगरी पर भी लिख सकती है जिससे यह और भी पाठकों तक पाहुच सके।
स्वागत व आभार प्रतीक जी !
हटाएंMuje aapki yha rachana bahut achhhi lagai Maine ise copy ki hi ....
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार निवेदिता जी !
हटाएंबहोत खुब
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंअति सुंदर भाव हैं कविता के ,हमारी विवाह की 57वी सालगिरह है 06/05 को ।और कविता मन भाई है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई आपको विवाह की वर्षगाँठ पर, आभार !
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