मंगलवार, मई 21

स्वयं ही स्वयं को लिखता पाती


स्वयं ही स्वयं को लिखता पाती

जीवन है सौगात अनोखी
माँ का आंचल, पिता का सम्बल,
प्रियतम का सुदृढ़ आश्रय
वात्सल्य का निर्मल सा जल !

गीत भी है, संगीत जहाँ में
दृश्य सुहाने मोहक मंजर,
वर्षा की सोंधी सी खुशबू  
भोर हुए पंछी के मृदु स्वर !

झोली भर-भर मिले खजाने
कुदरत का अनन्य कोष है,
तृप्त हुआ बस डोले इत-उत
अंतर जिसके जगा तोष है !

श्वास-श्वास है नेमत उसकी
अमृत सा जल, सूरज, बादल,
नेह का ताप, प्रीत शीतलता
उमड़-घुमड़ बरसा अश्रुजल !

भाव जगाता, शब्द सुझाता
स्वयं ही स्वयं को लिखता पाती,
कैसी अद्भुत एक ऊर्जा
 अनायास सृष्टि अँक जाती !

सर्व सुखी भव, सर्व निरामय
गीत पुन ऐसे गाने हैं,
बने प्रार्थना धड़कन दिल की
बहें जो मधुर तराने हैं  !

18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भाव का लयपूर्ण प्रस्तुति !

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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  2. श्वास-श्वास है नेमत उसकी
    अमृत सा जल, सूरज, बादल,
    नेह का ताप, प्रीत शीतलता
    उमड़-घुमड़ बरसा अश्रुजल !

    बहुत सुंदर ...

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  3. सर्व सुखी भव, सर्व निरामय
    गीत पुन ऐसे गाने हैं,
    बने प्रार्थना धड़कन दिल की
    बहें जो मधुर तराने हैं
    बहुत सुन्दर भावनाएं ...

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  4. बहुत सार्थक रचना है प्रवाहमय -


    गीत भी है, संगीत जहाँ में
    दृश्य सुहाने मोहक मंजर,
    वर्षा की सोंधी सी खुशबू
    भोर हुए पंछी के मृदु स्वर !


    कृपया यहाँ खुश्बू करलें ....खुशबू के स्थान पर ....


    सर्व सुखी भव, सर्व निरामय
    गीत पुन ऐसे गाने हैं,
    बने प्रार्थना धड़कन दिल की
    बहें जो मधुर तराने हैं !
    और इस पद में पुन :करलें ,पुन के स्थान पर शुक्रिया .आप बहुत शुद्ध लिल्ख्तीं हैं ,इसी लिए अनजाने में हुई चूक की और इंगित किया .

    जीवन से संतुष्टि का आनंद का दस्तावेज़ है यह अप्रतिम रचना .बधाई .

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  5. बहुत खूबसूरती से रची रचना
    उम्दा अभिव्यक्ति

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  6. र्व सुखी भव, सर्व निरामय
    गीत पुन ऐसे गाने हैं,
    बने प्रार्थना धड़कन दिल की
    बहें जो मधुर तराने हैं !

    गंगाजल की धारा सा प्रवाह...

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  7. नेमत उसकी ही है जो हमसे प्रार्थना में भी अभिव्यक्ति पाती है..

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  8. कितनी मंगल-भावनाओं से ओत-प्रोत कविता -मन को विश्राम देती सी !

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  9. बेहद उम्दा !



    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अच्छा - बुरा - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  10. क्या बात है | क्या भावनाएं व्यक्त की आपने | आभार | बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  11. सर्व सुखी भव, सर्व निरामय
    गीत पुन ऐसे गाने हैं,
    bahut sundar..

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  12. कालीपद जी, मंटू जी, माहेश्वरी, मुकेश जी, अमृता जी, प्रतिभा जी, पूनम जी, अशोक जी, संध्या जी, रजनीश जी व संगीता जी आप सभी का हार्दिक स्वागत व आभार!

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  13. संतोष से भरी ये कविता तृप्तिदायक है ।

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  14. भाव जगाता, शब्द सुझाता
    स्वयं ही स्वयं को लिखता पाती,
    कैसी अद्भुत एक ऊर्जा
    अनायास सृष्टि अँक जाती !

    WAH! BEHTREEN RACHNA....

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