रविवार, अगस्त 10

राखी


राखी



छुपाये है कितनी कोमल भावनाएं
रेशम के धागों से बनी
ये रंगीन राखियाँ !
गागर में सागर भरा हो जैसे
या बादलों में अमृत
अथवा तो फूलों में सुवास !
समेटे है अनगिनत स्मृतियाँ
अपने रंगीन नाजुक आकार में
 सजती है जब किसी कलाई पर
आलोड़ित हो जाता है उर
उग आते हैं
कितने सुमनों के उपवन
सूर्य और चन्द्रमाओं के समान
देदीप्यमान हो जैसे कोई राजा
और छाया हो उसका प्रताप चहूँ ओर...या
सुकोमल नवनीत सा पिघल जाता हो
हर स्पंदन
मुबारक हो बार-बार
राखी का यह त्योहार
यह रक्षा बंधन !


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