मंगलवार, मार्च 24

इतिहास

इतिहास 

इतिहास दोहराता है स्वयं को बार-बार 
महामारी का दंश झेला है 
 पहले भी, दुनिया ने कई बार
शायद हम ही थे... 
जब अठाहरवीं शताब्दी में प्लेग फैला था 
या उन्नीसवीं शताब्दी में दुर्भिक्ष... 
हम लौटते रहे हैं बार-बार  
किसी वस्तु.. किसी व्यक्ति के आकर्षण में 
या घटनाओं की पुनरावृत्ति हमें भाती है 
तभी हर बार मानवता वही भूल दोहराती है 
आज विज्ञान का युग है 
दुनिया जुड़ी है आपस में 
जैसे पहले कभी नहीं जुड़ी थी 
आज रोग भिन्न है उसके निदान भी 
यह व्यक्तिगत युद्ध नहीं है 
यह सामूहिक लड़ाई है 
जिसमें स्वास्थ्य कर्मी सेनापति 
और हर नागरिक सिपाही है 
जंग जीतकर जब हम आगे बढ़ें 
तो अपने आप से यह प्रण करें 
सुख लेने में नहीं देने में छुपा है 
यहाँ हम सभी का भाग्य जुड़ा है 
कहीं कोई द्वीप नहीं बचा 
सारी दुनिया एक मैदान बन गयी है 
इस देश की हवा उस देश में पहुँच गयी है 
तो सारी सीमाएं मनों की मिटा दें
और बने रहें अपने-अपने घरों में !


7 टिप्‍पणियां:

  1. सही ... सटीक साचा आह्वान ...
    आज का समय घर रहने का है .... स्वयं को पहचानने का है ... प्रेरणा देती है आपकी लाजवाब रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर।
    घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
    कोरोना से बचें।
    भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सटीक सार्थक एवं लाजवाब सृजन
    वाह!!!!

    जवाब देंहटाएं