मंगलवार, जनवरी 3

नया वर्ष - नए विकल्पों का घोष


नया वर्ष - नए विकल्पों का घोष 

जाते हुए वर्ष के अंतिम दिन और नए वर्ष के प्रथम दिन को प्रकृति के सान्निध्य में बिताने की परंपरा कब और कैसे आरम्भ हो गयी, यह तो याद नहीं पर पतिदेव की सेवा निवृत्ति से पूर्व की यह रीति कोरोना का एक वर्ष छोड़ दें तो पिछले तीन वर्षों से बखूबी चल रही है। इस वर्ष भी तीन महीने पहले ही पुत्र व पुत्रवधू ने ईको नेटिव विलेज नामक एक रिज़ॉर्ट में दो कमरे आरक्षित करवा दिए थे। अतः २०२२ का अंतिम दिवस और २०२३ का प्रथम दिवस पंछियों, वृक्षों और सूर्यास्त व सूर्योदय निहारते हुए बिताया। बंगलूरू की भीड़भाड़ से दूर गाँव के निकट खेतों-खलिहानों के मध्य दूर तक फैले खुले स्थान पर यह स्थान है। दूर से देखने तो पेड़ों से घिरा है, पर निकट जाकर देखने पर ज्ञात होता है कि अपनी उत्तम वास्तुकला के साथ ​​​​यह आवास शांत वातावरण में स्थित है और सुकून भरे कुछ पल बिताने के लिए एक सुरम्य गांव की पृष्ठभूमि पर बनाया गया है।घूमता हुआ चाक तो पहले कई बार देखा था पर पहली बार एक कुम्हार के सहयोग से चाक चलाने का अवसर मिला, हमने मिट्टी के दो छोटे पात्र बनाए। मिट्टी का कोमल स्पर्श अनोखा था, तेज़ी से घूमते हुए चाक पर अनगढ़ मिट्टी को भीतर व बाहर से सहेजते हुए आकार देना वाक़ई एक सुंदर अनुभव था। इसके बाद बचपन में खेले हुए अनेक खेलों की बारी थी, जिसमें शामिल थे, झूले, लट्टू घुमाना, लकड़ी की सहायता से टायर घुमाना, गुलेल से टंगी हुई टिन की बोतलों पर निशाना, पतंग उड़ाना, लगूरी, बास्केट बॉल, कैरम और भी कई खेल, जिन्हें बच्चे-बड़े मिल कर खेल रहे थे। जो काम वर्षों से नहीं किए होंगे, उन्हें  करके सहज आनंद मिल रहा था, वास्तव में आनंद तो भीतर है ही, उसे व्यक्त होने का अवसर मिल रहा था, वरना घर-बाहर के रोज़मर्रा के कामों में बड़े और पढ़ाई के बोझ तले दबे बच्चे अपने भीतर के उस आनंद से मिल ही नहीं पाते जो उन्हें इन सरल कृत्यों को कर के मिल रहा था। इस ख़ुशी का शायद एक कारण और भी हो सकता है, जीवन में नयापन उत्साह से भर देता है, तो ये सारे खेल जिन्हें आज की पीढ़ी भूल ही गयी है, उसी नवीनता का अनुभव करा रहे थे। जैसे परमात्मा नित नया सृजन करता ही जाता है, वह थकता ही नहीं। हमारे भीतर भी उसी का अंश आत्मा रूप में मौजूद है जो सदा नवीनता का अनुभव करना चाहता है। संभवतः इसीलिए दुनिया भर में लोग नया साल मनाते हैं। 

प्रकृति प्रेमियों के लिए इससे अच्छा क्या होगा कि वर्ष की अंतिम रात्रि को स्वच्छ आकाश में तारों की चमक और चंद्रमा की दमक निहारते हुए बिताया जाए। भोर में पंछियों कि कलरव से नींद खुले और उगते व अस्त होते सूर्यदेव को प्रणाम करने का अवसर मिले। नये  वर्ष का विशेष रात्रिभोज, संगीत, प्रकाश और साज-सज्जा तो सभी के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना ही हुआ था। यहाँ दो दर्जन से ज़्यादा कमरे हैं और सभी भरे हुए थे। बच्चे, युवा, अधेड़ और वृद्ध सभी आयुवर्ग के लोग आए हुए थे, जिनमें से अधिकतर आपस में शायद पहली और अंतिम बार मिले थे, पर एक आत्मीयता का सहज भाव जग जाना स्वाभाविक था क्योंकि सभी एक ही उद्देश्य के लिए आए थे, अपने जीवन की इस संध्या को यादगार बनाने !

शाम होते ही भोज की तैयारी शुरू हो गयी थी। प्रकाश की झालरें, संगीत और स्वादिष्ट भोजन की सुगंध सबको कार्यक्रम स्थल पर ली आयी। कुछ मेहमानों ने गीत गाए, कुछ बच्चों ने नृत्य किए और जैसे ही घड़ी ने बारह बजाए, प्रांगण पटाखों से गूंज उठा।

अगले दिन सुबह उठे तो विभिन्न पक्षियों की मधुर आवाज़ें सारे वातावरण में गूँज रही थीं। अभी हल्का अंधेरा था, पर रिज़ोर्ट से बाहर निकल कर बाँए कच्चे रास्ते पर चलना आरंभ किया तो धीरे-धीरे प्रकाश फैलने लगा था। आसपास के खेतों व पगडंडी पर श्वेत कोहरा छाया था, पथ के अंत तक हम चलते गए, रास्ते में कुछ फूलों के पेड़ थे। पगडंडी की समाप्ति पर किसी का घर था, या कोई गेस्ट हाउस। वापसी में बाँयी तरफ़ श्वेत कोहरे को भेदती हुई हल्की सी लाल आभा की झलक दिखी; और देखते-देखते नारंगी रंग का सूर्य का गोला श्वेत पृष्ठभूमि पर देदीप्यमान हो उठा। हमने कुछ तस्वीरें उतारीं और कुदरत को निहारते वापस लौट आए। प्रातःराश  के बाद वहाँ से लौटने से पूर्व अंतिम बार पूरे अहाते का एक चक्कर लगाया। कमल कुंड में कलियाँ खिलने लगी थीं। टमाटर, लौकी, फलियाँ, बैंगन, मिर्च, पपीते के पौधे और पेड़ देखे। यहाँ कुछ गाएँ और बत्तखें भी पाली हुई हैं। एक बैल गाड़ी भी खड़ी थी। एक तरह से गाँव का पूरा वातावरण बनाया गया है। 

शहर लौटकर अवतार २ देखने का कार्यक्रम भी पहले से ही तय था। इस फ़िल्म में समुंदर के नीचे की दुनिया का अद्भुत चित्रण किया गया है। पानी की लहरों के साथ नीचे उतरते -तैरते हुए काल्पनिक दुनिया के पात्र वहाँ के जीवों और वनस्पतियों से कैसा आत्मीय संबंध जोड़ लेते हैं, यह देखते ही बनता है। जीवन इतना अद्भुत हो सकता है, एक ओर इसकी कल्पना जहाँ चेतना को ध्यान की ओर ले जाती है, वहीं दूसरी ओर बन्दूकों और बारूद के विस्फोट से विनाश की लीला मानव की लिप्सा के प्रति सजग भी करती है। जेक सली के अनोखे परिवार और विशालकाय मछलियों के दृश्यों को मन में अंकित किए जब हम हॉल से बाहर आए तो सड़क पर ट्रैफ़िक कुछ ज़्यादा ही था। कुशलता से गाड़ी को भीड़ से निकाल कर घर तक पहुँच कर घड़ी देखी तो रात्रि के आठ बज चुके थे। बच्चों ने खाना पहले ही ऑर्डर कर दिया था, जो पहुँच चुका था। इस तरह नए वर्ष का पहला दिन अविस्मरणीय बन गया है और आने वाले पूरे वर्ष के लिए प्रेरणा का एक स्रोत भी; अर्थात अपने रोज़मर्रा के कामों में से कुछ समय निकाल कर  पाँच तत्वों के साथ कुछ समय बिताना, प्रकृति के साथ आत्मीय संबंध अनुभव करना और परमात्मा के द्वारा मिले परिवार के साथ सहज प्रेम के वरदान को कृतज्ञता के साथ ग्रहण करना !

6 टिप्‍पणियां:

  1. नववर्ष की आपको अनेक शुभकामनायें अनीता जी, ईको नेटिव विलेज के बारे में सुनकर और विस्तृत जानकारी के बाद अब हमारा भी वहां जाने का मन कर रहा है....अद्भुत संस्‍मरण रहा ये तो...

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    1. स्वागत व आभार अलकनंदा जी, अगले साल आप भी वहाँ अवश्य जाएँ, नए वर्ष के लिए आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ!

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  2. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ... बहुत खूब लिखा

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