शनिवार, जून 15

जीवन रहे बुलाता हर पल

जीवन रहे  बुलाता हर पल


​​भीतर इक संसार दूसरा 

शायद  यह जग कभी न जाने, 

इस जीवन में राज छिपे हैं 

लगे सभी हैं जिन्हें छिपाने !


लेकिन इसी अँधेरे में इक 

दीप जला करता है निशदिन, 

देख न पाते, कहीं दूर है 

खुला जो नहीं तीसरा नयन !


कोई कहाँ जान सकता है 

मन की दुनिया बड़ी निराली, 

यूँ ही नहीं सुनाते आगम 

अंधकार ने ज्योति चुरा ली !


फिर भी यह श्वासें चलती हैं 

चाहे लाख तमस ने घेरा, 

 कैसे अर्थवान हो जीवन 

इसी प्रश्न ने डाला डेरा !


कोई पीछे खड़ा हँस रहा 

जीवन रहे बुलाता हर पल, 

रंग-बिरंगी इस दुनिया की 

याद दिलाती है हर हलचल !  


कितना गहरे और उतरना 

 अभी सफ़र बाकी है कितना, 

जहां पुष्प प्रकाश के खिलते 

जहाँ बसा अपनों से अपना ! 


14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 17 जून 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. सच है अनीता जी ,मन की दुनिया निराली होती है ...

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  3. बहुत सुंदर रचना।
    मन की दुनिया तो बस ऐसी ही है, रंग बिरंगी..उन्मुक्त।

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