ॐ
जो आकाश है
वही सूरज बन गया है
जो सूरज है
वही धरा बना
जो धरा है वही चाँद
और सभी निरंतर होना चाहते हैं
वह, जो थे
जाना चाहते हैं वहाँ
जहाँ से आये थे !
आदमी में
आकाश है परमात्मा
सूरज - आत्मा
चाँद - मन और
धरा है देह
मन, देह से और
देह, आत्मा से जुड़ना चाहती है
आत्मा की चाह है परमात्मा से जुड़
आकाश होना
यही गति जीवन है
अंततः सभी आकाश हैं
विस्तीर्ण, अनंत, शून्य आकाश !
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