गुरुवार, सितंबर 11

हर पल जीवन नया हो रहा

हर पल जीवन नया हो रहा 


साथ समय के चलना होगा

वरना ख़ुद को छलना होगा, 

शब्द उगें पन्ने पर, पहले

मन को भीतर गलना होगा!


छंद, ताल, लय, बिंब अनोखा 

हर युग में नव रचना होगा, 

ओढ़ पुरानी चादर कब तक 

इतिहासों को तकना होगा!


हर पल जीवन नया हो रहा 

नूतन ढब से सजना होगा, 

परिपाटी का रोना रोते 

आदर्शों से बचना होगा!


सच को सच औ' झूठ-झूठ को 

कहना,लिखना,पढ़ना होगा। 

कब तक आख़िर कर समझौते 

राग पुराना रटना  होगा!