कृष्ण की याद
जैसे कोई फूल खिला हो
अमराई में
जैसे कोई गीत सुना हो
तनहाई में
जैसे धरती की सोंधी सी
महक उठी हो
जैसे कोई वनीय बेला
गमक रही हो
या फिर कोई कोकिल गाये
मधु उपवन में
जैसे गैया टेर लगाये
सूने वन में
श्याम मेघ तिरते हो जैसे
नीले नभ में
झूमे डाल कदंब कुसुम की
नन्दन वन में
यमुना का गहरा नीला जल
बहता जाये
कान्हा यहीं कहीं बसता है
कहता जाये !
सुन्दर |
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