शुक्रवार, दिसंबर 5

वक्त आज है खराब

वक्त आज है ख़राब!

दस हफ्तों से था
जिस का इंतजार
आज भी आया नहीं
उस खत का जवाब
वक्त आज है खराब !

जाना है जरुरी
बरसे हैं बादल क्यों 
जाने बेहिसाब
वक्त आज है खराब !

सँवारा था जिसे
बिगड़ा वही हर काम
दिए बिना सबाब
वक्त आज है खराब !

हर कोई डाले 
है जाने क्यों हम पर 
झूठ मूठ रुआब
वक्त आज है खराब !

6 टिप्‍पणियां:

  1. Aapke blog par ads kyo nhi aate, jbki aapka blog bahut achha hai.

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    1. यह ब्लॉग कुछ पाने के लिए नहीं कुछ देने के लिए बनाया गया है, मन को यहाँ विश्राम मिले, यही इसका उद्देश्य है

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  2. बहुत सुंदर लफ्ज ! बहुत सुंदर ! गहराई को पाती कुछ रुसवाई को कहती शब्दों - भावों और इस मन की सुंदर जुगलबंदी ! बहुत खूबसूरत ..!

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    1. स्वागत व आभार प्रियंका जी इस पुरानी कविता को पढ़ने के लिए !

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