मंगलवार, मार्च 19

अगन होलिका की है पावन




अगन होलिका की है पावन

बासंती मौसम बौराया
मन मदमस्त हुआ मुस्काया,
फागुन पवन बही है जबसे
अंतर में उल्लास समाया !

रंगों ने फिर दिया निमंत्रण
मुक्त हो रहो तोड़ो बंधन,
जल जाएँ सब क्लेश हृदय के
अगन होलिका की है पावन !

जली होलिका जैसे उस दिन
जलें सभी संशय हर उर के,
शेष रहे प्रहलाद खुशी का
मिलन घटे उससे जी भर के !

उड़े गुलाल, अबीर फिजां में
जैसे हल्का मन उड़ जाये,
रंगों के जरिये ही जाकर
प्रियतम का संदेशा लाए !

सीमित हैं मानव के रंग
पर अनंत मधुमास का यौवन,
थक कर थम जाता है उत्सव
चलता रहता उसका नर्तन !


26 टिप्‍पणियां:

  1. सच हिया मधुमास अपने नए नए रंगों से नित नै होली खेलता रहता है ... अंत साँसों का ही होता है ... उत्सव भी तो वहीं है "मन पाए विश्राम जहाँ"

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    1. स्वागत व आभार दिगम्बर जी, होली की शुभकामनायें !

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 19/03/2019 की बुलेटिन, " किस्मत का खेल जो भी हो “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
    नयी पोस्ट: मंदिर वहीं बनाएंगे।
    iwillrocknow.com

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  6. आपकी लिखी रचना आज ," पाँच लिंकों का आनंद में " बुधवार 20 मार्च 2019 को साझा की गई है..
    http://halchalwith5links.blogspot.in/
    पर आप भी आइएगा..धन्यवाद।

    सूचना में तारीख गलत थी..इसलिए पुनः

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  7. होली पर ढेरों शुभकामनाएं!

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  8. जली होलिका जैसे उस दिन
    जलें सभी संशय हर उर के,
    शेष रहे प्रहलाद खुशी का
    मिलन घटे उससे जी भर के !
    बहुत ही सुंदर अनीता जी,होली की हार्दिक शुभकामनाये

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  9. होली की सपरिवार शुभकामना।
    - पूनम और विश्वमोहन

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  10. रंगों ने फिर दिया निमंत्रण
    मुक्त हो रहो तोड़ो बंधन,
    जल जाएँ सब क्लेश हृदय के
    अगन होलिका की है पावन !
    बहुत सुंदर रचना

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  11. जली होलिका जैसे उस दिन
    जलें सभी संशय हर उर के,.....वाह अनीता जी क्‍या खूब लिखा है

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  12. बहुत ही लाजवाब रचना...
    वाह!!!

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