शनिवार, मार्च 9

सत्यमेव जयते


सत्यमेव जयते


कहा जा रहा है
जो भी कहा जाना चाहिए
न ही छिपा है और न ही थमा है
हो रहा है विरोध
जो किया जाना चाहिए
हर जुल्म के खिलाफ खड़ा है कोई न कोई डटकर
जिसका गुलशन है नहीं रह सकता कभी वह बेखबर
सुन लेता है चींटी की आवाज भी जो
भर देता है वही शोले किसी कलम में
सुलगती ज्वालायें किन्हीं दिलों में
जो निगल जाएँगी हर अन्याय को
तुम बढ़ते रहो अपनी डगर पर
होकर निडर
और नहीं सोचो एक क्षण के लिए भी
कि इंसाफ की इस राह पर तुम अकेले हो
अस्तित्त्व का हर कण भी लड़ रहा है वही युद्ध
जो किसी सुदूर कोने में लड़ा जा रहा है
किसी बेबस माँ द्वारा अपने शिशु की रक्षा के लिए
अथवा किसी खेतिहर द्वारा जमीन की रक्षा हित
उठ रही हैं आवाजें हर कोने में
और नहीं दबाया जा सकता उन्हें
पहरे कितने ही संगीन हों और
दीवारें कितनी ही अजेय
झूठ कितने ही सजीले वेश धरें
सच की ही होगी विजय !

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति उस्ताद जाकिर हुसैन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।

    जवाब देंहटाएं
  2. आमीन ... सत्य की विजय होगी ... ये बात तो सच है पर उठाना होगा खुद को उस सच की रक्षा के लिए ... उसके सामान के लिए ... वीरोचित सम्मान जरूरी है ...
    प्रभावी सार्थक सामयिक रचना है ...

    जवाब देंहटाएं