सोमवार, फ़रवरी 28

शिवरात्रि के पवन अवसर पर

 तुम महादेव ! हे देव देव !

ब्रह्मा  रचाते, विष्णु पालक 

हे शिवजी ! तुम हो संहारक,

तीनों देव बसें मानव में 

तीनों जन-जन के उद्धारक !


किन्तु आज ताकत के मद में, 

मूल्य भुला दिये मानव ने,

निज विनाश की करे व्यवस्था 

जगह देव की ली दानव ने !


दुरूपयोग सृजन क्षमता का, 

व्यर्थ आणविक अस्त्र बनाये,

पंचतत्व को करता दूषित 

अपनी मेधा पर इतराए !


पोषण करना भूल गया वह 

नारायण को है दिया सुला,

असुरों का ही खेल चल रहा,

देवत्व परम् को दिया भुला !


शिव शंभु ! प्रकटो, अमृत बरसे 

कण-कण नव जीवन पा जाये

सड़ा गला जो भी है बासी, 

हो पुनर्गठित पुनः खिल जाये !


हे काल पुरुष ! हे महाकाल ! 

हे प्रलयंकर ! हे अभयंकर !

कर दो लीला, जड़ हो चेतन

विप्लव कर्तार, हे अग्निधर !


युग-युगों से जो लगी समाधि,

दो तोड़, नेत्र खोलो अपना   

गंगा धारी, हे शिव शंकर  !

परिवर्तन नहीं रहे सपना !  


तुम महादेव ! हे देव देव !

कर तांडव दुनिया को बदलो,

जल जाये लोभ, मद, हर असुर

दुर्बलता मानव की हर लो !


हे पशुपति ! पशुत्व मिट जाये  

मानव की शुभ गरिमा लौटे,

छूटे अज्ञान, अमृत बरसे 

जो है विलीन महिमा लौटे !


नागाधारी ! हे सोमेश्वर ! 

प्रकटो हे सौम्य चन्द्रशेखर !

गले मुंडमाल, जटा धारी

त्रियंबकेश्वर ! हे विश्वेश्वर !


तुम मशान की राख लपेटे

वैरागी हे भोले बाबा !

हे नीलकंठ ! गंगाधारी ! 

स्थिर मना परम्, हे सुखदाता !


तुम करो गर्जना महान पुनः

हो जाये महा प्रलय भीषण,  

हे बाघम्बर ! डमरू बोले, 

हो जाय विलय हर इक दूषण !  


शुभ शक्ति जगे यह देश बढ़े 

सन्मार्ग चलें हर नर-नारी,

अर्धनारीश्वर ! महा महेश ! 

हे निराकार ! हे त्रिपुरारी !


धर्म तुम्हारा सुंदर वाहन, 

नंदी वाहक ! हे रसराजा !  

हे अनादि ! हे अगम ! अगोचर !

काल भैरव ! परम्  नटराजा !


10 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (01 मार्च 2022 ) को 'सूनी गोदें, उजड़ी मांगे, क्या फिर से भर पाएंगी?' (चर्चा अंक 4356 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. शुभ शक्ति जगे यह देश बढ़े
    सन्मार्ग चलें हर नर-नारी,
    अर्धनारीश्वर ! महा महेश !
    हे निराकार ! हे त्रिपुरारी
    धर्म तुम्हारा सुंदर वाहन,
    नंदी वाहक ! हे रसराजा !
    हे अनादि ! हे अगम ! अगोचर !
    काल भैरव ! परम् नटराजा !///
    वाह! प्रिय अनीता जी , महादेव की अभ्यर्थना में बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति ! शिव शंभू के विराट व्यक्तित्व को समाहित किया है आपने इस छोटी सी रचना में/ महाशिवरात्री की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको 🌷🌷❣️🙏

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  3. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. महादेव देव के विराट स्वरुप को बाखूबी लिखा है ...
    महाशिवरात्रि में इस से सुन्दर अर्चना और क्या हो सकती है ...

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  5. युग-युगों से जो लगी समाधि,

    दो तोड़, नेत्र खोलो अपना

    गंगा धारी, हे शिव शंकर !

    परिवर्तन नहीं रहे सपना ! ... बहुत ही सुंदर सार्थक प्रार्थना ।बहुत बहुत शुभकामनाएं दीदी ।

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