शनिवार, अक्तूबर 15

जीवन शतरंज बिछा

जीवन शतरंज बिछा


जो दर्द छुपा भीतर 

खुद हमने गढ़ा जिसको, 

नाजों से पाला है 

स्वयं बड़ा किया उसको !


हमने ही माँगा है 

ताकत यह हमारी है, 

यदि मुक्त हुआ चाहो 

मर्जी यह हमारी है !


हम ही कर्ता-धर्ता 

हमने यही भाग्य रचा, 

अनजाने में दिल पर 

दुःख वाली लिख दी ऋचा !


अब हम पर है निर्भर

नया दांव कहाँ खेलें, 

जीवन शतरंज बिछा

कैसे नयी चाल चलें !


सुख की यदि चाह हमें 

बोली तो लगाएँ अब,

क्या कीमत दे सकते

यह सर तो गवाएँ अब !


11 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलरविवार (16-10-22} को "नभ है मेघाछन्न" (चर्चा अंक-4583) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 16 अक्टूबर 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
  3. अवश्य, स्वागत व आभार मर्मज्ञ जी !

    जवाब देंहटाएं