मंगलवार, अक्तूबर 22

देव और असुर

देव और असुर 


किन्हीं सबल क्षणों का नाम देव 

और दुर्बल क्षणों का नाम असुर रखकर 

मानव ने मुक्ति पा ली !


जब मन स्वस्थ है, सजग है 

आशान्वित है 

देव है हमारे साथ !


जब क्लांत है मन 

घिरा-घिरा किन्हीं अशुभ ग्रहों से 

माना कहीं नहीं है !


किंतु क्यों रहे मन में विषाद 

क्यों उखड़ें श्वासें 

क्यों निकले स्वेद बिंदु 

क्यों उर तड़पे 

सत्कर्म नहीं कुछ 

सिर्फ़ अक्रियता 

यही है असुर !

सोचें सारी कुंद हो जातीं 

जब साथ नहीं देव !


1 टिप्पणी:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 अक्टूबर को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

    जवाब देंहटाएं