बुधवार, अक्तूबर 30

एक दीप अंतर करुणा का

एक दीप अंतर करुणा का


दीप जलायें शुभ स्मृतियों के 

स्मरण करें राघव, माँ सीता,

इस बार दिवाली में हम मिल 

वरण करें कान्हा की गीता !


 साधें सुमिरन आत्मज्योति का

सुदीप जलायें दिवाली में, 

याद करें सभी प्रियजनों को 

जो अंतर में गहरे बसते  ! 


 अवतारों, सिद्धों को पूजा 

 स्मृति में उनकी ज्योति जलायें,  

करुणामय माँ, परम पिता की  

याद का दीप जले हृदय में !


चैतन्य का दीपक प्रज्ज्वलित 

अपने लक्ष्यों को याद करें, 

मंज़िल तक राहों पर पग-पग 

दीप जलायें संकल्पों के ! 


बहे उजियाला संतोष  का 

आशा का भी दीप जलायें,

दीप जलायें उसी स्नेह से 

पिघल-पिघल जो बहे ह्रदय से !


इस धरती को रोशन कर दे 

भाव व्यक्त हों, बहे उजाला, 

दीप जले श्रद्धा का अनुपम  

एक दीप अंतर करुणा का !




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