एक दीप अंतर करुणा का
दीप जलायें शुभ स्मृतियों के
स्मरण करें राघव, माँ सीता,
इस बार दिवाली में हम मिल
वरण करें कान्हा की गीता !
साधें सुमिरन आत्मज्योति का
सुदीप जलायें दिवाली में,
याद करें सभी प्रियजनों को
जो अंतर में गहरे बसते !
अवतारों, सिद्धों को पूजा
स्मृति में उनकी ज्योति जलायें,
करुणामय माँ, परम पिता की
याद का दीप जले हृदय में !
चैतन्य का दीपक प्रज्ज्वलित
अपने लक्ष्यों को याद करें,
मंज़िल तक राहों पर पग-पग
दीप जलायें संकल्पों के !
बहे उजियाला संतोष का
आशा का भी दीप जलायें,
दीप जलायें उसी स्नेह से
पिघल-पिघल जो बहे ह्रदय से !
इस धरती को रोशन कर दे
भाव व्यक्त हों, बहे उजाला,
दीप जले श्रद्धा का अनुपम
एक दीप अंतर करुणा का !
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