ऊर्जा
ऊर्जा बहुत है, कर्म कम
ऊर्जा अहंकार बन जाएगी
ऊर्जा कम है, कर्म अधिक
ऊर्जा तनाव बन जाएगी
ऊर्जा अति है कर्म भी अति
ऊर्जा संतुष्टि बन जाएगी
ऊर्जा अनंत है कर्म अति या अल्प
ऊर्जा आनंद बन जाएगी
अधिक हो धन-दौलत तो
अभिमानी हो जाता है आदमी
कम हो धन तो तनाव से भर जाता है
संपन्नता भी हो और श्रम भी जीवन में
संतोष से भर जाता है
किंतु धन बेहिसाब हो फिर भी
सदा खुश नहीं रह पाता
इसलिए ऊर्जा क़ीमती है धन से
ऊर्जा अर्थात आत्मा
आत्मा अर्थात परमात्मा
परमात्मा अर्थात सत्य, प्रेम और शांति !
ऊर्जा का सही चेनल होना जरूरी है ... सही दिशा सही मार्ग पे ले जाती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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