माधव लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
माधव लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, अगस्त 3

मोहन की हर अदा निराली




मोहन की हर अदा निराली


माधव केशव कृष्ण मुरारी
अनगिन नाम धरे हैं तूने,
ज्योति जलाई परम प्रेम की
अंतर घट थे जितने सूने !

दिया सहज प्रेम आश्वासन
युग-युग में कान्हा प्रकटेगा ,
सुप्त चेतना दबी तमस में
हर बंधन से मुक्त करेगा !

सच की आभा सुहृद बिखेरे
अनुपम प्रतिमा सुन्दरता की,
हर उर में रसधार उड़ेले
  हर अदा निराली मोहन की !

वृन्दावन भू रज पावन है
परम सखा बन रास रचाए,
विरह अनवरत मिलन बना है
नाता स्नेहिल सदा निभाए !

दिव्य जन्म शुभ कर्म अनेकों
हैंं अनंत गाथाएं तेरी,
सुन-सुन अश्रु बहे नयनों से
जाने कितनी छवि उकेरीं !



गुरुवार, अप्रैल 19

बहना भूल गया यमुना जल



बहना भूल गया यमुना जल


माधव, मुकुंद, मोहन, गिरधर
नाम-नाम में छुपे प्रीत स्वर,
प्रेम डोर में बाँध, विरह की
परिभाषा गढ़ डाली सुंदर !

युग बीते गूँजे वंशी धुन
ठहर गया है जैसे वह पल,
वन-उपवन भी चित्र लिखित से
बहना भूल गया यमुना जल !

अनुपम, अद्भुत एक अलोना
वैकुंठ से उतर विहंसता,
अंग-अंग से करुणा झरती
नयनों से जो जादू करता !

एक पुकार सुनी अंतर की
राधा ने निज मन दे डाला,
खग, मृग, गौएँ, तरु, तृण वन के  
झूमे, सँग डोले मतवाला !

पाँव धरे, पावन भयी भूमि
उस भूखंड झुकाते माथा,
शत सहस्त्र कंठों ने गायी
थके नहीं गा गाकर गाथा !