गुरुवार, अगस्त 5

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

एक अनूठा पर्व प्रीत का मन भाया रक्षाबंधन
याद दिलाने स्नेह जगाने फिर आया रक्षाबंधन !

एक नीड़ में पले सहोदर एक सुनी थी मीठी लोरी
मात्र नहीं है कच्चा धागा प्रेम की यह पक्की डोरी

अंतर के दर्पण में कितने रंग बिरंगे धागे आते
बरसों बरस बीतते जाते नन्हें हाथ बड़े हो जाते !

बचपन के वे खेल-खिलौने छूटा वह रूठना मनाना
नए-नए परिवारों से जुड़, अपने निज परिवार बसाना

बहन करे प्रार्थना दिल से, हो रक्षा उसके भाई की
स्वस्थ रहे, सानंद रहे, है पुकार उसकी ममता की !

भाई देता वचन हृदय से सुख-दुःख में है साथ सदा
कभी भरोसा टूटेगा ना स्मरण दिलाता रहे सदा

राखी साक्षी है वर्षों की सदा जगायेगी यह प्रीत
बांटे ढेर दुआएँ हर दिल उत्सव की अनोखी रीत

अनिता निहालानी
५ अगस्त २०१०

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