शुक्रवार, जनवरी 31

शहीद दिवस पर

धरती का यह महादेश  

त्यागा हर सुख जीवन का
मृत्यू को गले लगाया,
कैसे धुर दीवाने थे 
देश प्रेम को अपनाया !

भारत माता है गुलाम 
यह दंश उन्हें चुभता था, 
ब्रिटिशों की सहे दासता
दर्द बहुत यह खलता था ! 

उन बलिदानों की गाथा 
हर भारतवासी जाने, 
वे सच्चे सेनानी थे 
उनकी कीमत पहचाने ! 

अनगिन बाधाएँ सहकर  
भारत हित वे डटे रहे, 
नत हो जाता है मस्तक 
उन खातिर जो झुके नहीं ! 

वह शौर्य, तेज, पराक्रमी 
अमर भाव बलिदानी का, 
देश आज आजाद हुआ 
कृतज्ञ उनकी वाणी का !

भारतमाँ त्रस्त आज भी 
भूख, गरीबी, अज्ञान से,
अस्वच्छता बेकारी व
दम्भ, झूठ, अभिमान से ! 

उन वीरों की क़ुरबानी 
व्यर्थ नहीं जाने पाए, 
धरती का यह महादेश  

पुनः अपना गौरव पाए !

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