सोमवार, जनवरी 24

तुम्हें याद करता है भारत

तुम्हें याद करता है  भारत 


‘जयहिंद’ का नारा गूंजा 

जाग उठे थे भारतवासी

नहीं सहेंगे पराधीनता

लगने दो चाहे फांसी !


तुम भारत के पुत्र अनोखे 

फौलादी दिल को था ढाला

खून के बदले ही आजादी 

मिल सकती यही कह डाला !


बापू के थे निकट खड़े तुम 

फिर भी उनके साथ थे लड़े

दिल झुकता था उन कदमों पर 

कर्तव्य बुलाते कहीं बड़े !  


कैसे अद्भुत सेनानी थे 

साम्राज्य से भिड़ने निकले

‘दिल्ली चलो’ का नारा दे 

संग सेना ले लड़ने निकले !


भारत गौरवान्वित तुमसे 

‘आजाद हिंद फ़ौज’ निर्माता

कभी-कभी ही किसी हृदय में 

इतना बल साहस भर पाता !


तुम्हें याद करता है  भारत 

अचरज से भरी निगाहों से

जिस माटी में तुम खेले थे 

ध्वनि आती है उन राहों से !


‘जय हिंद’ की एक पुकार पर 

हर भारतवासी डोल उठे

 देशभक्ति जो सोयी भीतर 

ले अंगड़ाई किलोल उठे !


5 टिप्‍पणियां:

  1. वर्षों इस गौरव को साधारण जन के सामने आने और जानने नहीं दिया गया !
    शत शत प्रणाम !

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  2. जय हिंद’ की एक पुकार पर
    हर भारतवासी डोल उठे
    देशभक्ति जो सोयी भीतर
    ले अंगड़ाई किलोल उठे !
    सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर ओजपूर्ण भावों से सुसज्जित अत्यंत सुन्दर रचना । जयहिंद ! जय भारत !

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