शनिवार, सितंबर 2

आया सितम्बर

आया सितम्बर 


आया सितम्बर 

लाया वर्षा की बौछार 

बस कुछ कदम दूर है 

जन्माष्टमी  त्योहार !

वही, अपने कन्हैया का जन्मदिन 

जिसे मनाते हैं आधी रात  

सोचें जरा,  था आधुनिक 

वह द्वापर में भी 

ठीक बारह बजे 

जन्मदिवस मनाने की 

चलायी थी परिपाटी !

 सितम्बर लिए आता  

गणपति बप्पा को भी 

और कैसे भला भूलें 

भगवान विश्वकर्मा का अवतरण दिवस 

मिल मनाते  कारीगर 

भर अंतर में हुलस ! 


9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत आभार यशोदा जी !

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  2. त्योहारों का अपना एक महत्व है.
    रचना की शुभकामनाएँ.

    पधारिये संस्कृति - विकृति

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