होली की शुभकामनाएँ
फागुन मास भरे उल्लास
पूनम का चाँद जगाये याद,
उड़ते रंग भरते उमंग
अबीर, गुलाल, मिटायें मलाल !
मीठी गुझिया भुजिया तीखी
लपट अगन की लौ लगन की,
छाया वसंत हुआ शीत अंत
मन मोर थिरक भरे एक ललक !
यह राग-रंग धुन मस्ती की
बस याद दिलाने ही आती,
जीवन इक मधुरिम उत्सव है
कुदरत की हर शै यह गाती !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 15 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
हटाएंबहुत ही सुंदर कविता!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंहोली की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपको भी रंगों के इस पर्व पर हार्दिक बधाई !
हटाएंसही कहा आपने , कुदरत की हर शै यह गाती , जीवन का पाठ हमें ये रोज पढ़ाती ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रियंका जी !
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