पल-पल बरसे वह चाहत है
हर फूल यहाँ जो खिलता है
हर गीत उसी की नेमत है,
यदि रोके ना कोई रस्ता
पल-पल बरसे वह चाहत है !
रंगों के पीछे छिपा हुआ
शब्दों का स्रोत वही तो है,
भावों की भाषा पढ़ सकता
नीरवता मौन वही तो है !
महिमावान नहीं वह केवल
माधुर्य से ओतप्रोत है,
करुणावान नहीं दिल उसका
अतिशय स्नेह से युक्त भी है !
छाया बन संग-संग डोले
धरा वही आकाश भी बना,
राज छुपाना जितना चाहे
रहा कहाँ कोई राज छिपा !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 30 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
हटाएंअत्यन्त सुंदर !
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रियंका जी !
हटाएंकरुणावान नहीं दिल उसका
जवाब देंहटाएंअतिशय स्नेह से युक्त भी है ! - यह पंक्ति बहुत अच्छी लगी!
स्वागत व आभार !
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