शनिवार, मार्च 29

पल-पल बरसे वह चाहत है

पल-पल बरसे वह चाहत है


हर फूल यहाँ जो खिलता है 

हर गीत उसी की नेमत है, 

यदि रोके ना कोई रस्ता 

पल-पल बरसे वह चाहत है !


रंगों के पीछे छिपा हुआ 

शब्दों का स्रोत वही तो है, 

भावों की भाषा पढ़ सकता 

नीरवता मौन वही तो है !


महिमावान नहीं वह केवल 

माधुर्य से ओतप्रोत है, 

करुणावान नहीं दिल उसका 

अतिशय स्नेह से युक्त भी है !


छाया बन संग-संग डोले 

धरा वही आकाश भी बना, 

राज छुपाना जितना चाहे 

 रहा कहाँ कोई राज छिपा !


6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 30 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  2. करुणावान नहीं दिल उसका

    अतिशय स्नेह से युक्त भी है ! - यह पंक्ति बहुत अच्छी लगी!

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