नई मंज़िल का पता पा
नई मंज़िल का पता पा
दूर हों अज्ञान से हम
कामनाएँ मिट रहें,
स्वयं में ही तृप्त हो मन
कोई अभाव न खले !
किसी क्षण में वह परम मिल
उसी पथ पर ले चले,
दूर होगी हर इक कलल
संग उसके मन हँसे !
यज्ञ की ज्वाला उठेगी
मिलन का उत्सव मने,
नई मंज़िल का पता पा
ज्योति सा मन खिल उठे !
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