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शनिवार, फ़रवरी 24

आर्टिकल ३७०


आर्टिकल ३७० 

 रक्त रंजित था जब कश्मीर 

थमा दिये गये थे पत्थर 

बच्चों-युवाओं के हाथों में 

जो अपने ही वतन के रक्षकों को 

निशाना बनाते थे 

जब चंद लोग निज स्वार्थ की ख़ातिर 

सरहद पार से जा मिले थे 

और उनके नापाक इरादों को 

यहाँ अंजाम देने के मंसूबे पालते थे 

जहन्नुम बना रहे थे जो जन्नत को 

ऐसे में एक जाँबाज़ कश्मीरी लड़की 

और पीएमओ की एक देशभक्त महिला 

उस सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाती  हैं 

जो किसी ने बरसों पूर्व देखा था 

आर्टिकल ३७० को हटाने का सपना 

जो कब का हो चुका होता पूरा 

यदि  आड़े न आये होते 

कुछ लोभी राजनेता

कितनी क़ुर्बानियाँ देकर उसे हटाया गया 

एक भटके हुए बेटे को जैसे 

घर वापस लाया गया 

जिसने बना दिया था बेगाना 

अपने ही वतन के एक हिस्से को 

यह फ़िल्म उसी की कहानी है 

जो हर दुनिया के हर नागरिक को सुनानी है 

कश्मीर अब आगे बढ़ रहा है 

हाथ में हाथ डाले भारत के सभी राज्यों के 

तरक़्क़ी की सीढ़ियाँ चढ़ रहा है 

लाल चौक पर तिरंगा लहराता है 

प्रेम कश्मीरियों के दिल में जगाता है ! 


सोमवार, अगस्त 14

परम अनूठा लोकतंत्र है




परम अनूठा लोकतंत्र है


सदा सत्य की राह दिखाये

गीत शांति का नित गुंजाता , 

‘वसुधैव कुटुंबकम’ अपनाए

सबका नित  कल्याण चाहता !

 

देश हमारा आगे बढ़कर  

सुख-संपन्नता द्वार खोल दे, 

हर आपद को बना चुनौती 

 यही सिखाये हँसकर सह लें !

 

साथ निभाता सब देशों का 

परम अनूठा लोकतंत्र है, 

आपद जब संसार झेलता 

सभी मित्र हैं, मूलमन्त्र है !


 दे संदेश तिरंगा लहरा

भारत की संस्कृति फैलाये, 

राम-कृष्ण की पावन धरती    

कण-कण इसका प्रीत सिखाये !

 

हर मन में आह्लाद उमंग 

मिल स्वतन्त्रता दिवस मनाएं, 

महिमामय भविष्य सम्मुख है 

धैर्य से वर्तमान निभाएं !

रविवार, अगस्त 14

आजादी की शमा जब जली लहराती



आजादी की शमा जब जली लहराती  

तिरंगा सुनाता है अपनी कहानी 
राजा है इसमें न ही कोई रानी, 
शहीदों के खूं से लिखी यह गयी है 
हजारों की इसमें छुपी क़ुरबानी !  

गुलामी का दर्द भयानक बड़ा था
घुट घुट के जीते थे शासन कड़ा था,  
आजादी की शमा जब जली लहराती  
तिरंगा अम्बर  में ऊँचा उड़ा था !

बापू ने इसमें भरे रंग प्यारे 
चरखा बना चक्र, कई संदेश धारे, 
बढ़ते चलें तोड़ बाधायें पथ की 
मंजिल सदा देती, आशा पुकारे !
 
केसरिया सुनाये साहस की गाथा  
हरियाला भारत सुख सपने  सजाता,  
सच्चाई, शांति का संदेशा देकर   
तिरंगा दिलों में आकांक्षा जगाता ! 

शुक्रवार, अगस्त 14

स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हार्दिक शुभकामनायें

 देश हमारा 

 

सदा सत्य की राह दिखाता

गीत शांति का रहे सुनाता, 

‘वसुधैव कुटुंबकम’ मानकर 

सदा सभी का सुहित चाहता !

 

देश हमारा आगे बढ़ता 

सुख-समृद्धि के मार्ग खोलता, 

हर आपदा को दे चुनौती 

हँसकर मिलकर उसको सहता !

 

शांति यहाँ का मूलमन्त्र है 

परम अनूठा लोकतंत्र है, 

साथ निभाता सब देशों का 

कोरोना जब विश्व झेलता !

 

लहर तिरंगा यही सुनाए

भारत की संस्कृति फैलाये, 

राम-कृष्ण की पावन धरती    

कण-कण इसका प्रीत सिखाये !

 

हर मन में आह्लाद भरा  है 

आज स्वतन्त्रता दिवस मनाएं, 

महिमामय भविष्य सम्मुख है 

धैर्य से वर्तमान निभाएं !

 


मंगलवार, अगस्त 14

तिरंगा


तिरंगा

नीलगगन में लहराते तिरंगे को देख
याद आते हैं वे अनाम चेहरे
इतिहास में जिनका कोई वर्णन नहीं
इस अमर स्वतन्त्रता के वाहक जो बने !

आज आजाद हैं हम
खुली हवा में श्वास लेने,
 दिल का हाल कहने सुनने को !

चैन की नींद सो सकते हैं
उगा सकते हैं धरा में अपनी पसंद की फसलें
भारत माँ को आराधना करते हुए
उगते सूरज को अर्घ्य चढ़ा सकते हैं !

लहरा जब जब तिरंगा शान से
हर भारतीय का हृदय भरा है आनबान से !

होश रखते हुए दिल में जोश जगाना है
इस तरह कुछ तिरंगा लहराना है
राम और कृष्ण की पावन भूमि का
महान गौरव सारे विश्व में बढ़ाना है !