सोमवार, दिसंबर 30

नये वर्ष की शुभकामनायें


नये वर्ष की शुभकामनायें 


जब तक हाथों में शक्ति है
जब तक इन कदमों में बल है,
मन-बुद्धि जब तक सक्षम हैं
तब तक ही समझें कि हम हैं !

जब तक श्वासें है इस तन में
जब तक टिकी है आशा मन में,
तब तक ही जीवित है मानव
वरना क्या रखा जीवन में !

श्वास में कम्पन न होता हो
मन स्वार्थ में न रोता हो,
बुद्धि सबको निज ही माने
स्वहित, परहित में खोता हो !

जब तक स्व केंद्रित स्वयं पर
तब तक दुःख से मुक्ति कहाँ है,
ज्यों-ज्यों स्व विस्तृत होता है
अंतर का बंधन भी कहाँ है !

जब तक खुद को नश्वर जाना
अविनाशी शाश्वत न माने,
तब तक भय के वश में मानव
आनंद को स्वप्न ही जाने !


4 टिप्‍पणियां:

  1. ज्यों-ज्यों स्व विस्तृत होता है
    अंतर का बंधन भी कहाँ है !

    सच! इस विस्तार की ओर प्रस्थान ही जीवन है... हम सबके साथ घटित हो यह विस्तार!
    नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं आपको भी!
    सादर!

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  2. वाह बहुत ही खूबसूरत …… आपको भी नववर्ष कि हार्दिक शुभकामनायें |

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  3. जब तक खुद को नश्वर जाना
    अविनाशी शाश्वत न माने,
    तब तक भय के वश में मानव
    आनंद को स्वप्न ही जाने !
    बहुत सुन्दर अर्थ पूर्ण रचना।

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  4. अनुपमा जी, इमरान, प्रसन्न जी, वीरू भाई आभार तथा आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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