रविवार, जून 26

ज्यों की त्यों

ज्यों की त्यों

हर लहर जो सागर से निकलती है
सागर की खबर देती है
हर दुआ जो दिल से निकलती है
दिलबर की खबर ही देगी न ....
और दुआ ही क्यों, हर बददुआ भी
उसके बगैर तो आ नहीं सकती
 यह बात और है कि
हमें आदत है मिलावट की
हर शिशु निर्दोष ही आता है जग में
पर वैसा ही वापस नहीं जाता
कबीर की तरह मन को चादर को
ज्यों की त्यों रखना जो हमें नहीं आता !


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