वह जो कोई भी है
कोई दूर रह कर भी
निकटतम हो सकता है !
दूरी प्रेम को बढ़ाती है
विरह की अनल में जल जाते हैं
उर के अवांछनीय तत्व,
जल ही जाते होंगे...
तभी तो विरह के आँसूओं का स्वाद
कुछ अलग होता है !
हो सकता है मुखरित कोई मौन होकर भी !
मौन भीतर के मौन को जगाता है
करता है परिचय अनंत से
शब्द की सीमा है, मौन असीम है
कोई चार शब्द कहे तो चार सौ की इच्छा होगी
पर मौन, एक पल का हो या एक पहर का
स्वाद दोनों का एक है !
कोई उदासीन होकर भी
रख सकता है ख्याल !
उदासीनता अंतर्मुखी कराती है
दूसरे का ध्यान मिले तो मन उसी पर जायेगा
अंतर्मुखता अपने आप से मिलाती है
अनंत उपकार हैं उसके
जो दूर है
मौन है
उदासीन है !
अनंत उपकार हैं उसके
जवाब देंहटाएंजो दूर है
मौन है
उदासीन है !
बहुत सुन्दर.
आपकी प्रस्तुति में अनुपम दर्शन का भास होता है.
आभार,अनीता जी.
मौन हमारे मन का साक्षी होता है जो बहुत कुछ समेटे रहता है अपने पास
जवाब देंहटाएंविरह की अनल में जल जाते हैं
जवाब देंहटाएंउर के अवांछनीय तत्व,
जल ही जाते होंगे...
बहुत सुंदर और सटीक कहा है ... सुंदर प्रस्तुति
कविता में अलग अलग मूड का सफल प्रयोग हुआ है।
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDAR .AABHAR
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और लाजवाब....मौन का स्वाद और शब्दों की भीड़ में एकाग्र होना ।
जवाब देंहटाएंekdam sahi......
जवाब देंहटाएंउदासीनता अंतर्मुखी कराती है
जवाब देंहटाएंदूसरे का ध्यान मिले तो मन उसी पर जायेगा
अंतर्मुखता अपने आप से मिलाती है
लाज़वाब गहन प्रस्तुति ....एक एक शब्द अंतस को छू जाते हैं..आभार