गुरुवार, मई 15

कृतज्ञता का फूल


कृतज्ञता का फूल 


समय से पूर्व

और आवश्यकता से अधिक 

जब मिलने लगे 

जो भी ज़रूरी है 

तो मानना चाहिए कि 

ऊपरवाला साथ है 

और कृपा बरस रही है !


कृतज्ञता का फूल 

जब खिलने लगे अंतर में 

तो जानना चाहिए कि 

मन पा रहा है विश्राम 

और आनंद-गुलाल बिखर रहा है !


सब मिला ही हुआ है 

यह अनुभव में आ जाये 

तो छूट जाती है हर चाह

राह के उजाले गवाह बन जाते 

कि विश्वास का दीपक ह्रदय में 

जलने लगा है !


12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक ! बस ऐसे भाव सदा बने रहें...
    परम आस्था के भाव जगाती लाजवाब रचना ।

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    1. सचमुच आस्था के बिना जीवन कितना सूना है, स्वागत व आभार सुधा जी !

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  2. बहुत ही सुंदर भाव पूर्ण सृजन

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 18 मई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  4. सच कहा है आपने ... खुद को अपनी ओउकात पता होती है ...उसका शुक्रिया बनता है ...

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  5. वाह! खूबसूरत सृजन अनीता जी ....सुंदर भाव !

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