कृतज्ञता का फूल
समय से पूर्व
और आवश्यकता से अधिक
जब मिलने लगे
जो भी ज़रूरी है
तो मानना चाहिए कि
ऊपरवाला साथ है
और कृपा बरस रही है !
कृतज्ञता का फूल
जब खिलने लगे अंतर में
तो जानना चाहिए कि
मन पा रहा है विश्राम
और आनंद-गुलाल बिखर रहा है !
सब मिला ही हुआ है
यह अनुभव में आ जाये
तो छूट जाती है हर चाह
राह के उजाले गवाह बन जाते
कि विश्वास का दीपक ह्रदय में
जलने लगा है !
सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबहुत सटीक ! बस ऐसे भाव सदा बने रहें...
जवाब देंहटाएंपरम आस्था के भाव जगाती लाजवाब रचना ।
सचमुच आस्था के बिना जीवन कितना सूना है, स्वागत व आभार सुधा जी !
हटाएंबहुत ही सुंदर भाव पूर्ण सृजन
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार भारती जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 18 मई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
हटाएंसच कहा है आपने ... खुद को अपनी ओउकात पता होती है ...उसका शुक्रिया बनता है ...
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंवाह! खूबसूरत सृजन अनीता जी ....सुंदर भाव !
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार शुभा जी !
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