शनिवार, मई 31

कामना का अभाव

कामना का अभाव 


जैसे धुएँ से ढकी रहती है अग्नि 

और धूल से दर्पण 

वैसे ही ढक जाती है चेतना 

कामना के आवरण से 

उजागर नहीं होने देती सत्य 

अनावृत मन ही हो जाता अनंत

हर कामना यदि अर्पित हो जाये 

रिक्त अन्तर में विश्वास यह भर जाये 

 पल-पल कुशल-क्षेम कोई रखे ही जाता 

तो हर बार वार अभाव का ख़ाली चला जाता 

पूर्णता की तलाश हर अभाव को मिटाना है 

मुक्त हो हर प्रभाव से, स्वभाव में आ जाना है ! 


10 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य अगर विषयों की वासना से मुक्त होकर किसी चीज की कामना की जाती है तो सबकुछ एक अनिर्वचनीय रुप में सुखद सुंदर और मंगलप्रद बन जाता है बिना किसी स्वार्थ के बिना किसी लोभ के किया गया हर प्रयास ईश्वर की सच्ची पूजा है ।

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  2. मन में ऐसी शुद्धि हो जाए तो जीवन निर्मल हो जाये ...

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 09 जून 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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