देवी कवच
शैलपुत्री सी अडिग हो
नित ब्रह्म में विचरण करे,
चन्द्र ज्योति निनाद घंटा
शुभ चेतना धारण करे !
स्कन्द जैसी वीरता हो
कात्यायनी सी मधुर छवि,
कालरात्रि सी अति भीषण
गौरी माता सी हो द्युति !
सिद्धिदात्री हो प्रदाता
चेतना पावन बनेगी,
हर काल औ’ हर देश में
सत्य का साधन बनेगी !
जगे प्राणशक्ति बन प्रबल
उर भाव सारे शुद्ध हों,
मन समर्पित हों हमारे
सभी सर्वदा प्रबुद्ध हों !
हर दिशा में वह हमारा
मार्ग दर्शन मंगल करें,
देवी कवच सी बन सदा
नित भक्ति की रक्षा करें !
दुर्गा देवी सदा दुष्टदलन नाशिनी कृपा भक्ति स्त्रोतास्विनी ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रियंका जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 24 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दिग्विजय जी !
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