नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
चुनाव
गा रहे पंछी
बह रही हवा
घूम रही धरा
हो रहा अपने आप सब कुछ !
चल रही श्वास
बढ़ रही उम्र
दौड़ रहा मन
साक्षी
भूताकाश व चित्ताकाश का
जिस पर
टिकी है सारी सृष्टि
अकर्ता
वह अनुमंता
हर चुनाव
जिसके हाथ में !
सुंदर गहन शांति देती रचना।
स्वागत व आभार प्रियंका जी !
सर पर उसका हाथ रहे .... वही हाथ बस ...
सुंदर गहन शांति देती रचना।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रियंका जी !
हटाएंसर पर उसका हाथ रहे .... वही हाथ बस ...
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